ये है महत्व बरसाना स्थित श्रीजी की लीला भूमि में स्थित स्वयं ब्रह्मा जी ही ब्रह्माचंल के रूप में विराजमान हैं। वाराहापुराण और पद्मपुराण के अनुसार ब्रह्मा जी ने भगवान श्रीकृष्ण की तपस्या कर इस दिव्यलीला भूमि में पर्वतरूप प्राप्त कर साक्षात लीला दर्शन का आशीर्वाद प्राप्त किया। इसके बाद बरसाना में ब्रह्माचंल पर्वत के रूप में विराजमान हो गये। वहीं बड़े-बड़े ऋषि-मुनि और भक्त अपनी तपस्या के फलस्वरूप इस ब्रह्माचंल पर्वत पर लता-पता वृक्ष आदि बन कर स्थित हैं। श्रीराधाकृष्ण की दिव्य लीलाओं का आनन्द नित्यप्रति लेते हैं। शास्त्रों और पुराणों के अनुसार ये ब्रह्माचंल और उसके ऊपर लता-पताएं, वृक्ष आदि पूजनीय और स्तुति करने योग्य है। आज इन्ही देवस्वरूपा लता-पताओं और वृक्षों को कुछ लोग अपने सुख, सुविधाओं, व्यापार, अधर्म को धर्म का नाम देकर काट रहे हैं। यह भी बोल रहे हैं कि हमने अनुमति ले रखी है। ऐसा कौन महापुरुष होगा जो इस दिव्यस्वरूपा लताओं-पताओं और वृक्षों को काटने की अनुमति देगा ।
संघर्ष करेंगे बताया जा रहा है कि इस निंदनीय कार्य में बरसाना उद्यान विभाग का कर्मचारी और उच्चाधिकारियों का हाथ हैं। कुछ लोग बताते हैं कि बरसाना उद्यान विभाग इंचार्ज कहता है कि मैं देखता हूं कौन रोकता है इस कार्य को । इस प्रकार ब्रह्माचंल और लता-पताओं, वृक्षों को कटा जाता रहा तो प्रकृति और यह ब्रजभूमि अपना स्वरूप खोती चली जायेगी। श्री जी मन्दिर विकास ट्रस्ट उपाध्यक्ष पदम फौजी का कहना है कि इन गोपीरूप लता-पताओं और वृक्षों को व स्वयं ब्रह्मा जी स्वरूप ब्रह्माचंल को अपने स्वरूप में बनाए रखने के लिए व बचाने के लिए संघर्ष करना पड़ा तो संघर्ष करेंगे। अनशन करना पड़ा तो अनशन भी करेंगे अपने ब्रज बरसाना की दिव्यता को नष्ट नहीं होने देंगे।
तस्वीरः ब्रह्मांचल पर्वत पर चल रहे निर्माण के लिए की जा रही खोदाई।