9 महीने तक बढ़ सकता है उत्पादन कम करने का फैसला
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन ने शनिवार को जानकारी देते हुए कहा कि रूस और सउदी अरब, सौदे को आगे बढ़ाएंगे। कितने समय तक? हम इसके बारे में सोचेंगे। यह छह महीने या नौ महीने के लिए होगा। संभव है कि यह नौ महीने हो सकता है। पुतिन के इस बयान से साफ हो गया है कि रूस के अलावा कच्चे तेल का उत्पादन करने वाले ओपेक देश अपना उत्पादन कम ही रखेंगे। जिससे उन देशों को दिक्कतों का ज्यादा सामना करना पड़ेगा जो कच्चे तेल के सिर्फ आयात पर निर्भर हैं।
12 लाख बैरल कम हो रहा है उत्पादन
पेट्रोलियम उत्पादों का निर्यात करने वाले देशों के समूह ओपेक ने पिछले साल दिसंबर में कच्चा तेल का दैनिक उत्पादन 12 लाख बैरल तक कम करने का विकल्प चुना था। जिसके यह फैसला जनवरी 2019 से प्रभावी हो गया था। उससे पहले कच्चे तेल के उत्पाउन की वजह से कच्चे तेल की कीमतें काफी नीचे आ गई थीं। लेकिन बाद यह दाम 70 डॉलर बैरल के आसपास आ गए। मौजूदा समय में कच्चे तेल में ब्रेंट क्रूड कीमतें 65 डॉलर बैरल पर बनी हुई है। खास बात तो ये है कि आने वाले मंगलवार को को वियना में ओपेक सदस्य देशों की उच्चस्तरीय बैठक होने वाली है।
भारत को होगा नुकसान
ओपेक देशों के इस फैसले को भारत के नजरिए से देखने की कोशिश करें तो उसे नुकसान के अलावा कुछ भी नजर आ रहा है। उत्पादन कम होने से कच्चे तेल की कीमतों में इजाफा होगा। जिससे स्थानीय स्तर पर पेट्रोल और डीजल की कीमतों में इजाफा होगा। समस्या यह भी है कि वेनेजुएला और ईरान पर अमरीकी प्रतिबंध की वजह से देश महंगा कच्चा तेल खरीदने को मजबूर है। मौजूदा समय में नई दिल्ली में पेट्रोल के दाम 70 रुपए और डीजल की कीमत 64 रुपए प्रति लीटर के पार चले गए हैं।
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