राज्यों पर बिना किसी असर के 1.5 रुपए प्रति लीटर तक की हो सकती है कमी
इस साल कच्चे तेल की कीमतें 85 डॉलर प्रति बैरल तक बढ़ीं हैं। पारिख ने सुझाव दिया कि ईंधन की कीमतें अभी भी 5-6 रुपए तक कम हो सकती हैं। उनके अनुसार, राज्यों का वार्षिक राजस्व कच्चे तेल की कीमत और रुपए दोनों के आंदोलन के आधार पर 10 फीसदी से 16.5 फीसदी तक बढ़ जाएगा। यहां तक कि 70 डॉलर प्रति बैरल पर तेल का कारोबार होने पर भी राज्य अपेक्षा से 20,000 करोड़ रुपए अधिक इकट्ठा कर सकेंगे। उन्होंने सुझाव दिया कि राज्य राजस्व पर प्रतिकूल प्रभाव के बिना 1.5 रुपए प्रति लीटर तक ईंधन की कीमतों में कटौती की जा सकती है।
जीएसटी स्लैब में करना होगा बदलाव
यदि एक संतुलित दृष्टिकोण अपनाया जाता है तो कुल कट 5-6 रुपये प्रति लीटर तक हो सकता है। “केंद्र सरकार ने 2017-18 में पेट्रोलियम उत्पादों से 2,29,000 करोड़ रुपये इकट्ठा किया है। यदि एक्साइज ड्यूटी में 10 फीसदी की कमी होती है तो जो पेट्रोल पर लगने वाले एक्साइज ड्यूटी 19.48 रुपये प्रति लीटर से घटकर 17.50 रुपये और 17.24 रुपये प्रति लीटर डीजल से घटकर 15.50 रुपये हो जाएगा। इससे राजस्व में 22,900 करोड़ रुपए की गिरावट आएगा। 22,900 करोड़ रुपये के नुकसान की भरपार्इ करने को लेकन पारीख ने सुझाव दिया कि सरकार वस्तु एंव सेवा कर (जीएसटी) स्लैब को 5 फीसदी से 5.2 फीसदी तक, 12 फीसदी से 12.48 फीसदी और 28 फीसदी से 29.12 फीसदी तक कर सकती है।