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मुकेश अंबानी खरीद सकते हैं Zee ग्रुप में बड़ी हिस्सेदारी, ये एकलौती भारतीय कंपनी है दौड़ में शामिल

Published: Feb 19, 2019 12:49:03 pm

Submitted by:

Shivani Sharma

Zee एंटरटेनमेंट को ऐपल, रिलायंस जियो और सोनी कॉर्प सहित कई कंपनियां जी एंटरटेनमेंट में बड़ी हिस्सेदारी खरीद सकती हैं।
जी एंटरटेनमेंट की हिस्सेदारी खरीदने की होड़ में रिलायंस इंडस्ट्रीज एकमात्र भारतीय कंपनी है।
जी मैनेजमेंट ने बताया कि विदेशी बायर को एंटरटेनमेंट और मीडिया कंपनियों में 100 फीसदी हिस्सेदारी खरीदने की इजाजत दी है।

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मुकेश अंबानी खरीद सकते हैं Zee ग्रुप में बड़ी हिस्सेदारी, ये एकलौती भारतीय कंपनी है दौड़ में शामिल

नई दिल्ली। हाल ही में Zee एंटरटेनमेंट को हुए नुकसान के बाद ऐपल, रिलायंस जियो और सोनी कॉर्प सहित कई कंपनियां जी एंटरटेनमेंट में बड़ी हिस्सेदारी खरीद सकती हैं। इन कंपनियों को बातचीत करके शॉर्टलिस्ट किया गया है और आपको बता दें कि पिछले दस दिनों से इसके लिए तैयारी चल रही थी, जिसके बाद एक कंपनियों की लिस्ट बनाई गई है।


दौड़ में ये कंपनियां हैं शामिल

आपको बता दें कि जी एंटरटेनमेंट की हिस्सेदारी खरीदने की होड़ में रिलायंस इंडस्ट्रीज एकमात्र भारतीय कंपनी है। इसके अलावा एनबीसी यूनिवर्सल की मालिक अमेरिकी कंपनी कॉमकास्ट शामिल है। इसके साथ ही कॉमकास्ट के पूर्व सीएफओ माइकेल एंजेलाकिस की अगुवाई वाली 4 अरब डॉलर की इन्वेस्टमेंट कंपनी एटेयरॉस भी इस दौड़ में शामिल है। वहीं, इससे पहले खबरें आ रही थी कि चाइना की टेनसेंट और अलीबाबा भी इश दौड़ में शामिल रहेंगी, लेकिन फिलहाल अभी इन कंपनियों ने कोई ऑफर नहीं दिया है।


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अधिकारी ने दी जानकारी

इसके साथ ही इंडस्ट्री के अधिकारी ने जानकारी देते हुए बताया कि ड्यू डिलिजेंस चल रहा है। इसके साथ ही बातचीत चल रही है और जल्द ही इस बारे में विचार किया जाएगा। इसके साथ ही अधिकारी ने कहा कि ‘अप्रैल की डेडलाइन के अनुसार काम चल रहा है।’ उसके बाद बाइंडिंग ऑफर दिए जाएंगे।


अभी तक किसी भी मेल का जवाब नहीं आया है

आपको बता दें कि जी ने जानकारी देते हुए बताया कि स्टेक सेल की प्रक्रिया चल रही है। अभी कुछ भी फाइनल नहीं हुआ है। इसके साथ ही एटेयरॉस, ऐपल, सोनी कॉर्प और रिलायंस ग्रुप कंपनियों को भेजी गई मेल्स का जवाब नहीं आया।


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विदेशी कंपनियों को होगी परेशानी

इसके साथ ही जी मैनेजमेंट ने बताया कि विदेशी बायर को एंटरटेनमेंट और मीडिया कंपनियों में 100 फीसदी हिस्सेदारी खरीदने की इजाजत दी है, लेकिन आपको बता दें कि विदेश की कंपनियों को हिस्सेदारी खरीदने के लिए भारत के बाजार को समझने के लिए लोकल पार्टनर और मैनेजमेंट टीम की जरूरत होगी।


कंपनी पर पड़ा असर

वहीं, सुभाष चंद्रा की अगुवाई में उनके प्रमोटर ने बताया कि हम किसी स्ट्रैटिजिक पार्टनर को अपने स्टेक का 50 प्रतिशत तक हिस्सा बेचने की योजना बना रहे हैं ताकि बैलेंस शीट से कर्ज घटाया जा सके। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि जी के शेयर सालभर में 23 फीसदी गिर चुके हैं। इससे सुभाष चंद्रा की मोलतोल करने की क्षमता पर असर पड़ा है। इसके साथ ही करेंट मार्केट कैप 41,924.36 करोड़ रुपए है।

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