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सूत्रों के मुताबिक प्रस्ताव के तहत तेल की खुदरा बिक्री के नियम आसान किए जाएंगे। सरकार अगर इन नियमों को आसान बनाती है, तो फ्यूचर समूह, रिलायंस रिटेल और वॉलमार्ट जैसी मल्टी ब्रांड रिटेल कंपनियों के लिए पेट्रोल-डीजल बेचने का रास्ता साफ हो सकता है। नियमों में छूट से सऊदी अरामको जैसी दिग्गज अंतरराष्ट्रीय कंपनियों की भी भारत में तेल के खुदरा कारोबार में उतरने का मौका मिलेगा। अरामको ने देश के खुदरा ईंधन बाजार में दिलचस्पी दिखाई है। बता दें कि आम लोगों तक पेट्रोल और डीजल की पहुंच आसान बनाने के लिए पिछले साल मार्च में पुणे में छोटे टैंकर वाहनों के जरिए डीजल की घर पर आपूर्ति की शुरुआत की गई थी।
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ब्रिटेन के मॉडल से मिली प्रेरणा
दरअसल सुपरमार्केट और मॉल में पेट्रोल-डीजल की बिक्री की योजना ब्रिटेन में इस मॉडल की सफलता को देखते हुए तैयार की जा रही है। वहां यह प्रयोग काफी सफल रहा है। उसी को देखकर भारत में भी इस पर विचार चल रहा है। ब्रिटेन की संस्था पेट्रोल रिटेलर्स एसोसिएशन (पीआरए) के मुताबिक अप्रैल में देश में पेट्रोल बिक्री में सुपर मार्केट की हिस्सेदारी करीब 49 फीसदी रही। डीजल की बिक्री में 43 फीसदी योगदान रहा। ब्रिटेन में टेस्को, सेंसबरी, एस्डा और मॉरीसन जैसी रिटेल कंपनियां अपने सुपर स्टोरों में पेट्रोल-डीजल बेच रही हैं।
किरीत पारीख समिति ने की थी सिफारिश
भारत में अर्थशास्त्री किरीट पारीख की अगुआई वाली समिति ने तेल की खुदरा बिक्री का दायरा बढ़ाने की सिफारिश की थी। इसके आधार पर ही सरकार नियमों को आसान बनाने के उपाय कर रही है। इस समिति में पूर्व पेट्रोलियम सचिव जी सी चतुर्वेदी, इंडियन ऑयल के पूर्व अध्यक्ष एम ए पठान तथा पेट्रोलियम मंत्रालय के तहत विपणन का कामकाज देख रहे संयुक्त सचिव आशुतोष जिंदल भी शामिल थे।
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