तापी परियोजना का अभी काम प्राथमिक स्तर पर हुआ है। जानकारी के अनुसार एशिया की पहली परियोजना है कि, जिसमें बाढ़ के पानी को नहरों द्वारा पहुंचाकर रिचार्ज किया जाएगा। 5428 करोड़ रुपए की इस परियोजना से बारिश के दिनों में बाढ़ का पानी रोककर 150 किलोमीटर नहरों के द्वारा नदी, नालों, कुओं में पहुंचाकर उन्हे रिचार्ज किया जाएगा, जिससे 3.57 लाख हेक्टर भूमि पर सिंचाई की जाएगी, जिसमें 80 हजार हेक्टर के लिए लिफ्ट करके सिंचाई की जाएगी। तापी घाटी सर्वेक्षण व अन्वेषण विभाग द्वारा दावा किया जा रहा है की इस योजना में केवल 3325 हेक्टर जमीन बाधित होगी और कोई भी गांव बाधित नहीं होगा।
किसानों का कहना है कि परियोजना के संदर्भ में मप्र सरकार को अपनी भूमिका स्पष्ट करनी चाहिए। सरकार की मंशा स्पष्ट होने के बाद में तापी पंचायत उसके आधार पर आगे की रणनीति तय करेगी। तापी पंचायत के लिए अब यह संघर्ष बांध के विरोध के साथ-साथ अपने प्राकृतिक संसाधनों को बचाने और अपने प्राकृतिक संसाधनों पर अधिकार प्राप्त करने के लिए सत्याग्रह जैसा है। बैठक में विवेकानंद माथने, सीएस उइके,अनिल उइके, रामप्रसाद कवडे, समलू पटेल, रामसिंग, द्वारका बरमैय्या, भैय्यालाल इवने, धनसिंग कुमरे, शंकर परते सहित अन्य लोगों द्वारा गांव-गांव में पंचायते आयोजित की जा रही है।