क्यों भारत में भी बढ़ेंगे पेट्रोल-डीजल के दाम
बाजार पर लगातार नजर बनाए रखने वाले केडिया कमोडिटी के निदेशक अजय केडिया का कहना है कि अमरीका द्वारा र्इरान पर प्रतिबंध अौर अमरीकी इन्वेंट्री घटने से बाजार में सप्लार्इ में कमी आर्इ है। अमरीका द्वारा र्इरान पर लगाए गए प्रतिबंध की तारीख भी नजदीक आ रही है। इस वजह से भी बाजार में निगेटिव सेंटीमेंट देखने को मिल रहा है। ये भी कयास लगाया जा रहा है कि दिसंबर तक ब्रेंट क्रुड आॅयल 88 डाॅलर प्रति बैरल आैर WTI क्रुड आॅयल 80 डाॅलर प्रति बैरल तक जा सकता है। एेसे में भारत में भी पेट्रोल-डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है। ये भी संभव है की केंद्र एवं राज्य सरकार अगर उचित कदम नहीं उठाती हैं तो पेट्रोल की कीमतें 100 रुपए प्रति डाॅलर के पार भी जा सकती है।
बाजार में इस अस्थिरता के लिए कौन जिम्मेदार?
कच्चे तेल की कीमतों को लेकर कर्इ वैश्विक जानकारों का मानना है कि इस बाजार को अस्थिर करने के लिए अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की सरकार जिम्मेदार है। रूस के ऊर्जा मंत्री एलेक्जेंडर नोवाक ने रविवार को कहा कि अमरीका द्वारा लगाए गए प्रतिबंध आैर व्यापार युद्ध का असर वैश्विक अर्थव्यवस्था पर देखने को मिला रहा है। वैश्विक वित्त सेवा कंपनी जेपी माॅर्गन का कहना है कि र्इरान पर प्रतिबंध लगने के बाद बाजार में प्रति दिन 15 लाख बैरल कच्चे तेल की कमी आ सकती है।
एसएंडपी ने कहा- खुदरा तेल दर को नियंत्रित कर सकती है सरकार
ग्लोबल रेटिंग एजेंस एसएंडपी ने आज (सोमवार) को कहा है कि सरकार मुद्रास्फिति को लगने वाले झटके से बचने के लिए खुदरा तेल दर को नियंत्रित कर सकती है। मौजूदा समय में भारत अपने जरूरत का 80 तेल आयात करता है आैर कच्चे तेल के मामले में दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा आयातक है। बीते कुछ समय में रुपए में आए 10 फीसदी की गिरावट से भी घरेलू बाजार में पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर असर देखने को मिला है। इससे उपभोक्ताआें पर भी असर पड़ेगा आैर मुद्रास्फिति भी बढ़ने का खतरा रहेगा।