scriptजहां सीधा लाभ होता है वहीं काम करती है पुलिस, ऐसे मामलों में पुलिस को नहीं फुर्सत | Patrika News | Patrika News

जहां सीधा लाभ होता है वहीं काम करती है पुलिस, ऐसे मामलों में पुलिस को नहीं फुर्सत

locationमंदसौरPublished: Mar 28, 2019 06:27:33 pm

Submitted by:

Jagdish Vasuniya

जहां सीधा लाभ होता है वहीं काम करती है पुलिस, ऐसे मामलों में पुलिस को नहीं फुर्सत

patrika

जहां सीधा लाभ होता है वहीं काम करती है पुलिस, ऐसे मामलों में पुलिस को नहीं फुर्सत

मंदसौर । फरवरी माह में एक 16 वर्षीय नाबालिग लापता हो जाती है। पीडि़त पिता ने रिपोर्ट दर्जकराई। इसमें पुलिस लाईन में पदस्थ एक आरक्षक जिसका नाम शाकासिंह है। उस पर आशंका व्यक्त की।बावजूद इतना लंबा समय हो गया। पुलिस न तो उस नाबालिग को ढूंढ पाई और न हीं पुलिस आरक्षक के बारें में कुछ बता रही है। एक पिता अपनी बेटी को लेकर भटक रहा है। पर कही पर कोई नहीं सुन रहा है। यह हमारी कानून व्यवस्था की हालात हो गई है। जब पीडि़त पिता मेरे पास आया तो मैं खुद हैरान रह गया। बाद में गृहमंत्री सहित पुलिस के आला अधिकारियों को इस मामले से अवगत कराया। इतने गंभीर मामले में पुलिस संवेदनशील कितनी है। यह इससे ही पता चल रहा है कि अब तक कुछ पता पुलिस नहीं लगा पाई है। यह बात विधायक यशपालसिंह सिसौदिया ने पत्रकारों से चर्चा के दौरान बुधवार को कही।
उन्होंने कहा कि घटनाएं घटित हो रही है। पर पुलिस गंभीर नहीं है। पीडि़ता के पिता ने शंका व्यक्त की है। पुलिस लाईन में पदस्थ आरक्षक है। एफआईआर में नाम है तो पुलिस को गंभीरता से लेना चाहिए। नाबालिग है वैसे भी गंभीर पुलिस को होना था। और वह आरक्षक है। यहां तो रक्षक ही भक्षक बन गए। ऐसा नजारा देखने को मिल रहा है। पिता मेरे पास आया तो मैंने गृहमंत्री और डीजीपी से लेकर आईजी व अन्य अधिकारियों से बात की। उन्हें अवगत करा चुका हु। और अब तो पिता भी असुरक्षित है। पुलिस से मांग करता हुं कि आरक्षक की पूरानी हिस्ट्री भी निकाले।जब भी इस प्रकार के मामले आते है और पुलिस उन्हें लाती है तो ऐसे मामलों में बिना परिवार के साथ कांफ्रेंस करवाए पुलिस रजामंदी की बात कह देती है। जो अनुचित है। साथ ही विधायक ने पुलिस पर सीधे-सीधे आरोप लगाया कि पुलिस को ऐसे मामले सुलझाने की फुर्सत नहीं। पुलिस को जहां सीधा लाभ होता है। वहीं काम करती है। ऐसे मामलों पर पुलिस गंभीर नहीं होती है। पुलिस कहीं पर ऐसे मामलों में लडक़ा-लडक़ी को लेने जाते है तो रिपोर्टकरने वाले फरियादी से ही आने-जाने का और उनके खाने का भी खर्चालेती है। ऐसे मामलों में उनका खर्चा और पीडि़त को वहन करना पड़ता है। उन्होंने इस मामले को विधानसभा में उठाने की बात कही।

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो