१७ दिन में हुई ६५ हजार बच्चों की जांच
दस्तक अभियान के तहत ० से ५ वर्ष तक के करीब १ लाख २२ हजार बच्चों की जांच करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। जिसके तहत जिले में करीब ६५ हजार ५४० बच्चो की जांच २७ जून तक हो चुकी है। जिसमें से करीब २७५ बच्चे गंभीर कुपोषित पाए गए। वहीं करीब ३३१ बच्चों में खून की कमी नजर आई। ९५ बच्चे डायरिया से प्रभावित पाए गए वहीं करीब ४९ बच्चे जन्मजात विकृति से पीडि़त पाए गए।
जो खाली पड़े थे कभी, उनमें नहीं बची पैर रखने की जगह
कुछ माह पहले जो पोषण पुर्नवास केंद्र पूर्ण रूप से खाली नजर आते थे, यदा कदा २-४ बच्चे ही दिखते थे। वहीं शुक्रवार को पैर रखने की जगह भी नजर नहीं आई। जिला चिकित्सालय स्थित पोषण पुर्नवास केंद्र यूं तो करीब २० सीटर है। लेकिन यहां ३८ बच्चे भर्ती होने आए, ऐसे में जिला चिकित्सालय में स्थित महिला पुरूष विश्राम गृह को वैकल्पिक रूप से पोषण पुर्नवास केंद्र बनाया गया, ताकि सभी बच्चों का बेहतर उपचार हो सके।
आधे कुपोषित बच्चे वेटिंग में केवल १४५ हुए भर्ती
जिले में मात्र १७ दिन में करीब २७५ गंभीर कुपोषित बच्चे पाए गए। चूकि जिले के सातों पोषण पुर्नवास केंद्र में मिलाकर मात्र ८० सीटों की व्यवस्था है। लेकिन वैकल्पिक व्यवस्था करके सभी में सीटों से अधिक बच्चे भर्ती करते हुए १४५ बच्चे भर्ती किए गए। ऐसे में अभी भी करीब १३५ से अधिक गंभीर कुपोषित बच्चों को भर्ती करने की आवश्यकता है। जो तभी भर्ती हो पाएंगे, जब वर्तमान में भर्ती बच्चे १४ दिन का कोर्स पूर्ण होने के बाद घर जाएंगे।
एनआरसी सेंटर सीट कुपोषित बच्चे भर्ती
मंदसौर २० ३८
सीतामऊ १० २३
मल्हारगढ़ १० १८
नहारगढ़ १० ११
श्यामगढ़ १० २०
गरोठ १० १९
भानपुरा १० १६
इस प्रकार सभी एनआरसी में सीट से अधिक कुपोषित बच्चे होने के कारण अतिरिक्त व्यवस्था की गई है। जिसमें कहीं विश्राम गृह तो कहीं वार्ड में पलंग लगाकर कुपोषित बच्चों को १४ दिन का विशेष ट्रीटमेंट दिया जा रहा है।
जागरूकता का अभाव, अभी भी परिजन नहीं लाते बच्चे एनआरसी में
दस्तक अभियान के तहत जब कुपोषित बच्चे निकलकर सामने आने लगे तो साफ नजर आ रहा है कि बच्चों के परिजनों में जागरूकता का काफी अभाव है। इसी कारण वे अपने बच्चे में कुपोषण होने के बाद भी उपचार के लिए नहीं लेकर आते हैं। जब दस्तक अभियान के तहत आशा, एएनएम व आंगनवाड़ी का दल घर घर जाकर कुपोषित बच्चों को रेफर करने लगा तब जाकर कहीं कुपोषित बच्चों का उपचार होता नजर आ रहा है।
कुपोषण दूर करेंगे
कलेक्टर के मार्गदर्शन अनुसार दस्तक अभियान के तहत कुपोषण दूर करने का प्रयास किया जा रहा है। कुपोषित बच्चों को लगातार आगामी माह में भी एनआरसी के माध्यम से उपचार दिया जाएगा। बच्चे अधिक आने के कारण बैड स्टैंड भी बढ़ाए हैं।
-डॉ. महेश मालवीय, सीएचएमओ