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तापमान ने बढ़ाया गेहूं का रकबा

locationमंदसौरPublished: Nov 14, 2018 01:11:50 pm

Submitted by:

harinath dwivedi

तापमान ने बढ़ाया गेहूं का रकबा

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मंदसौर.
इन दिनो दोपहर के तापमान में कमी नहीं हो रही है। यहीं कारण है कि तापमान स्थिर रहने का असर फसल बुवाई में भी देखने को मिला है। तापमान बढऩे के कारण गेहूं का रकबा बढ़ गया है। वहीं चने का रकबा घट गया है। चना बुवाई के दौरान कम तापमान की आवश्यकता होती है, लेकिन लगातार तापमान में स्थिरता के चलते चना बुवाई समय पर नहीं हो पाई। ऐसे में कृषि व उद्यानिकी विशेषज्ञों की सलाह से किसानों ने गेहूं बुवाई करना ही उचित समझा।


20 हजार हेक्टेयर में बढ़ा गेहूं का रकबा
दिन के तापमान में तेजी एवं स्थिरता के चलते इस वर्ष गेहूं का रकबा बढ़ गया है। कृषि अधिकारियों के अनुसार पिछले साल गेहूं का रकबा जिले में 95 हजार हेक्टेयर था। लेकिन इस वर्ष यह बढक़र 1 लाख 15 हजार हेक्टेयर पहुंच गया है। वहीं चने का रकबा घट गया है। पिछले साल चने का रकबा 65 हजार हेक्टेयर था जो इस वर्ष घटकर 50 हजार हेक्टेयर के करीब रह गया है। इसके अलावा सरसो के रकबे में भी कमी हुई है। पिछले साल सरसो का रकबा ४० हजार हेक्टेयर था जो घटकर 38-39 हजार हेक्टेयर के करीब रह गया है। लहसुन के रकबे में भी कमी हुई है। अगर थोड़ी बारिश ओर हो जाती तो चना का रकबा बढ़ जाता।


फसलो के लिए पर्याप्त है पानी
किसानों व अधिकारियों के अनुसार इस बार रबी फसल के लिए पानी पर्याप्त है। वर्षा ऋतु के आखिरी दौर में जो बारिश हुई थी, उससे कुओं, तालाबों, ट्यूबवेलो का जलस्तर बढ़ गया था। बारिश रबी फसल के लिए काफी फायदेमंद साबित हुई है। अन्यथा किसानों को टैेंकरो से पानी पिलाने को मजबूर होना पड़ता है। कयास लगाए जा रहे है कि गेहूं का रकबा बढऩे के साथ ही फसल का उत्पादन भी इस वर्ष अच्छा ही होगा। क्योंकि गेहूं में सिंचाई की आवश्यकता कम होती है। रात का तापमान कम होना भी फसलो के लिए लाभकारी है।


कृषि वैज्ञानिक का कहना…
वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक जीएन पांडे के अनुसार रात का तापमान कम होना फसलो के लिए बेहतर है। जिन किसानों की फसलें बाहर आ चुकी है, उनके लिए ठंड फायदेमंद साबित होगी। गेहूं, रायड़ा व अफीम फसल के लिए ठंड बेहद लाभदायक है। अधिक पानी वाली फसले जैसे अफीम व लहसुन में 10-15 सिंचाइ्र की आवश्यकता होगी। ऐसे में किसान स्प्रिकलर या ड्रीप का उपयोग करें। जिन किसानों ने अभी फसल बुवाई नहीं की है वे बीजोपचार अवश्य करें। इसके बाद ही बुवाई करें। इससे जड़ सडऩ, पौध गलन जैसी समस्या नहीं होगी।


इनका कहना…
जिल में करीब 80 प्रतिशत क्षेत्र में बुवाई कार्य पूर्ण हो चुका है। 20 प्रतिशत क्षेत्र में शेष है। इस बार दिन के तापमान में अधिकता के कारण गेहूं के रकबे में बढ़ोत्तरी हो गई है। करीब 20 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में गेहूं का रकबा बढ़ा है। इसके अलावा चने के रकबे में कमी हुई है। सरसो का रकबे में भी कुछ कमी आई है।
– एएस राठौर, उपसंचालक, कृषि विभाग, मंदसौर

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