लेकिन रात तक कांग्रेस पार्षद शाकेरा खेड़ीवाला का नाम ही तय स्थिति में आ गया। शाकेरा का नाम तय होने की स्थिति में शेख के समर्थन में पूर्व विधायक कुछ पार्षदों को लेकर शाम को भोपाल रवाना हुए है। जानकारी के अनुसार पूर्व मंत्री की पहल पर शाकेरा का नाम निर्णायक स्थिति में आया है। बुधवार को हाईकमान की मुहर के बाद शासन स्तर से नियुक्ति के आदेश आ सकते है।
मंगलवार को अध्यक्ष की दौड़ में तीन नाम रह गए है। आधा दर्जन में से अब हनीफ शेख, रुपल संचेती के बाद मंगलवार को शाकेरा का नाम जुड़ा। इधर मुख्यमंत्री कमलनाथ ने प्रदेश सचिव को सभी से रायशुमारी करने का जिम्मा सौंपा था। उन्होंने पार्षदों से फोन पर चर्चा तो की, लेकिन सीएम मंगलवार को दिल्ली रवाना हो गए। ऐसे में रिपोर्ट उन तक नहीं पहुंची। इसलिए निर्णय टल गया। कांग्रेस के १७ पार्षद है, लेकिन रायशुमारी में किसी एक नाम पर सहमति नहीं हुई। कांग्रेस के अंदरखानों में चल रही गुटबाजी के कारण सहमति नहीं बन पा रही है।
यूं उलझा पेंच
पिछले दिनों भोपाल में मुख्यमंत्री के साथ हुई लोकसभा चुनाव की तैयारियों की बैठक में नगर पालिका कार्यवाहक अध्यक्ष को लेकर चर्चा हुई। इसमें पूर्व विधायक व जिलाध्यक्ष ने हनीफ शेख का नाम आगे बढ़ाया। पूर्व सांसद व पूर्व मंत्री ने वहां चुप्पी साध रखी थी। इसी बीच बैठक के बाद कुछ नेता मिले और नाम फायनल नहीं करते हुए सभी पार्षदों से रायशुमारी करने की बात कही। रायशुमारी पूरी हुई नहीं। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजयसिंह की और से रुपल संचेती का नाम आगे बढ़ा और पूर्व मंत्री ने मंगलवार को शाकेरा खेड़ीवाला का नाम आगे बढ़ा दिया। लोकसभा चुनाव को देखते हुए वर्ग विशेष में विरोध की स्थिति न बने इसके कारण बोहरा समाज के पार्षद का नाम आगे बढ़ा है। ऐसे में तीन नाम चर्चा में थे, लेकिन अब सिर्फ शाकेरा का नाम तय स्थिति में है और हनीफ शेख अभी भी भोपाल में जोर लगा रहे है।
रायशुमारी पर ली थी पार्षदों ने आपत्ति
मुख्यमंत्री ने प्रदेश सचिव राजीवसिंह को सभी पार्षदों से रायशुमारी करने की जवाबदारी सौंपी थी। मंगलवार को पार्षदों के पास राजीवसिंह के फोन आए। लेकिन जो रायशुमारी चली। इस बीच सभी पार्षदों को पूर्व विधायक शेख की दुकान पर बुला रहे थे। वहीं पर सभी से बात उनके सामने करवा रहे थे। यह बात अन्य को पता चली तो उन्होंने सीधे फोन लगाकर इस पर आपत्ति ली। और रायशुमारी पर सवाल खड़े करते हुए विरोध किया। अन्य दावेदारों का कहना है कि पार्षदों ने दबाव में बात की है जो उचित नहीं है। यह भी आरोप है कि यह प्रक्रिया ही गलत है। रायशुमारी की जो प्रक्रिया है यह नेता प्रतिपक्ष के लिए होती है जो यहां नहीं हुई। अध्यक्ष तो शासन स्तर से नियुक्ति होना है।
शेख के विरोध में यह लिखा पार्षदों ने पत्र में
शेख का नाम आगे बढऩे के बाद अन्य पार्षदों ने हाईकमान को लिखे पत्रों में यह लिखते हुए विरोध किया कि यहीं ब्लॉक अध्यक्ष है। और रायशुमारी कर तीन सालों से अधिक समय में इन्होंने नेता प्रतिपक्ष नहीं बनने दिया और यहीं सदन में विपक्ष की अगुवाई करते रहे और सांमजस्य बनाकर चलते रहे। यहां तक की जो कांग्रेस पार्षद सदन में विरोध करता उसे भी नहीं बोलने देते और पूरे कार्यकाल में कभी भी धरना, विरोध तो ठीक बयानों से भी कभी विरोध नहीं किया। इसी के चलते शाकेरा का नाम प्रबलता के साथ आगे बढ़ा और तय स्थिति में पहुंच गया है।
चल रही है चर्चा
पार्षदों से चर्चा चल रही है। अभी रिपोर्ट नहीं दी है। कोई एक नाम भी अभी फायनल नहीं हुआ है। जल्द हो जाएगा।-राजीवसिंह, प्रदेश सचिव, कांग्रेस
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