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आक्रोशित बाहरी और जिले के किसानों का मामला उलझा बैठक में निराकरण नहीं अब कलेक्टर के पाले में गेंद

locationमंदसौरPublished: Jul 21, 2019 11:44:35 am

Submitted by:

Nilesh Trivedi

आक्रोशित बाहरी और जिले के किसानों का मामला उलझा बैठक में निराकरण नहीं अब कलेक्टर के पाले में गेंद

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आक्रोशित बाहरी और जिले के किसानों का मामला उलझा बैठक में निराकरण नहीं अब कलेक्टर के पाले में गेंद


मंदसौर.
कृषि उपज मंडी के अधिकारियों की बद-इंतजामी के कारण मंडी गेट पर चार दिनों से उपज के वाहन लेकर खड़े किसान शुक्रवार को आक्रोश भड़क गया। यह मामला तब बढ़ा हो गया तो जिले के किसानों ने पहले अपनी उपज तौलने का मुद्दा उठा दिया। जिसकी सूचना पुलिस-प्रशासनिक अधिकारियों को लगी। तो एसडीएम और सीएसपी तत्काल अन्य अधिकारियों को लेकर मंडी पहुंचे। जहां पर मंडी सचिव सहित किसानों के साथ पुलिस-प्रशासनिक अधिकारियों ने बैठक ली। बैठक में मंडी की अव्यवस्थाओं की पोल किसानों ने खोल कर रख दी। बैठक में एसडीएम अंकिता प्रजापति, तहसीलदार नारायण नांदेडा, सीएसपी सहित अन्य अधिकारी मौजूद थे। लेकिन बाहरी और जिले के किसानों के मुद्दे का हल अधिकारी नहीं निकल पाए। इस पूरी बैठक की जानकारी कलेक्टर मनोज पुष्प को दी गई। कलेक्टर ने सभी अधिकारियों को कलेक्टोरेट में शनिवार को बुलाया है। आज होने वाली
बैठक में कलेक्टर इस मुद्दे पर निर्णय लेगें।
आदर्श कही जाने वाली मंडी में बेपटरी व्यवस्था को पटरी पर लाने में मंडी प्रशासन पूरी तरह अक्षम्य साबित हो रहा है। तेज धूप में किसान मंडी के बाहर तप रहे है और एक नहीं चार-चार दिन तक प्रांगण में एंट्री के लिए इंतजार कर रहे है। दूर-दराज से लेकर जिले के किसान कई दिनों से मंडी में परेशान हो रहे है। मंडी सचिव के पास समस्या लेकर जा रहे किसानों की समस्या दूर करना तो ठीक वह या तो उन्हें मिल नहीं रहे या ठीक से जवाब भी नहीं दे रहे। हर बार अव्यवस्थाओं को सुधारने के बजाए वह हाथ खड़े कर रहे है।
इसी कारण दिनोंदिन यहां समस्या बढ़ती जा रही है। ऐसे में शुक्रवार को प्रशासनिक अमले ने यहां बैठक ली। इसमें एसडीएम अंकिता प्रजापति, सीएसपी नरेंद्रसिंह सोलंकी, तहसीलदार नारायण नंदेड़ा, टीआई विवेक कनोडिय़ा, मंडी सचिव ओपी शर्मा भी मौजूद थे। इसमें चर्चाओं का दौर चला। सीएसपी, टीआई किसानों से समस्या सुन बात करते रहे, लेकिन मंडी सचिव किसानों की समस्या और अव्यवस्थाओं पर चुप्पी साधे ही बैठे रहे।
इनके कारण बढ़ रही समस्या, लेकिन मंडी सचिव नहीं ढूंढ पा रहे समाधान
बैठक के दौरान मंडी में अव्यवस्था और समस्याओं के कारण रखे गए। इसमें बाहर खड़े वाहनों भले ही अपनी बारी का इंतजार कर रहे हो, लेकिन बाईक से प्रांगण में पहुंच रही उपज से उनका नंबर आने से पहले ही जगह फूल हो रही है। बाईक वालों पर लगाम लगाया जाए। यहां पर उपज को अंदर लाने के लिए बाइक से लाने के लिए किराया भी वसूला जा रहा है।
इसके अलावा सप्ताह में पहले वार के हिसाब से एंट्री दी जाती थी। ऐसे में बाहर के लोग भी जिले में अपने किसी रिश्तेदार को आधर कार्ड सहित बुलाकर प्रवेश ले लेते थे। इससे भी समाधान नहीं हुआ। और यह बंद करना पड़ी। साथ ही रात को अन्य मंडियों के अनुज्ञा बताते ट्रक आते है। वह गोदामों की बजाए यहां भाव अच्छा मिलने के कारण प्रांगण में उपज खाली कर देते है। तो पहले बड़े ढेर लगते थे। अब छोटे ढेर लहसुन के लगते है। इसके कारण पूर्व की अपेक्षा वर्तमान में दिनभर में आधी लहसुन ही नीलाम हो पा रही है। इसी के चलते समस्या यथावत बनी हुई है। इसके अलावा अन्य उपज लिए वाहन अंदर प्रवेश कर जाते है लेकिन ऊपर दूसरी उपज के नीचे वह लहसुन भरकर पहुंचते है जो प्रांगण में रख देते है। तो कई किसान पहले से आकर प्रांगण में त्रिपाल बिछाकर अपनी जगह रोकते है। इसके चलते बाहर खड़े किसानों को अंदर आसानी से प्रवेश और जगह नहीं मिलता है। लेकिन मंडी प्रशासन इन सभी समस्याओं के बाद भी इसका हल निकालने में अक्षम्य साबित हो रहा है। लेकिन मंडी सचिव हर दिन की हो रही किसानों की समस्या का हल नहीं ढूंढ पा रहे है।

सिक्यूरिटी गॉर्ड के पास डे्रसकोर्ड ही नहीं
बैठक के दौरान सबसे अधिक मामला सिक्यूरिटी गॉर्ड के पास डे्रसकार्ड नहीं होने को लेकर उठा। किसानों के बीच सिविल डे्रस में काम कर रहे सिक्यूरिटी गॉर्ड की कोई पहचान नहीं। इस पर सीएसपी व अन्य ने सवाल किए और जब कहा कि कोई भी सिक्यूरिटी कंपनी बिना डे्रसकोर्ड के अपने गॉर्ड नहीं भेजती, यहां कोन सी कंपनी का काम है। इस पर जवाब आया कि साहब यहां तो थर्डलाईन कंपनी का काम है।
इस पर सचिव ने सोमवार डे्रसकोर्ड में होने की बात कही।
२४ घंटे में एक बार रात को खोल रहे गेट, प्रांगण पड़ा पूरा खाली
मंडी प्रांगण में शुक्रवार को ४० हजार कट्टों की आवक रही। इसमें लहसुन सबसे अधिक १६ हजार तो प्याज ३ हजार २७०, अलसी ९७४, मैथी ९७५, गेंहू ६५६९, सोयाबीन ६८६६ सहित अन्य उपज की आवक रही। बावजूद परिसर का बड़ा हिस्सा पूरी तरह खाली रहा। मंडी प्रांगण में जगह होने के बाद बाहर खड़े किसानों को अंदर नहीं लिया जा रहा। इसके कारण उन्हें हर दिन का भाड़ा भी चुकाना पड़ रहा है तो खाने-पीने से लेकर रात बिताने के लिए यहां मजबुर होना पड़ रहा है। मंडी के गेट २४ घंटे में एक बार रात को खोले जा रहे है। और उसमें भी एंट्री दिए जाने वाले वाहनों की संख्या मंडी प्रशासन किसानों की परेशानी को नजरअंदाज कर अपनी मनमर्जी से तय करता है।

इंतजार के साथ आर्थिक भार भी सह रहे है
उज्जैन जिले के गांव ***** से लहसुन से लेकर आए किसान भगवानसिंह ने बताया कि उन्हें चार दिन हो गई और अब तक अंदर प्रवेश भी नहीं मिला। इस दौरान दूर-दूर से कई किसान अपनी बारी का इंतजार कर रहे है। खाने-पीने से लेकर वाहन भाड़ा सहित डेढ़ हजार रुपए प्रतिदिन का भार वहन कर रहे है। ७० कट्टे लहसुन लेकर वह यहां आए थे। इस तरह किसानों को यहां परेशानी झेलना पड़ रही है।

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