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दस्तावेजों ने दूर कर दी गरीब बच्चों की ‘आरटीई की पढ़ाईÓ

locationमंदसौरPublished: Jul 21, 2019 11:42:39 am

Submitted by:

Vikas Tiwari

दस्तावेजों ने दूर कर दी गरीब बच्चों की ‘आरटीई की पढ़ाईÓ

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मंदसौर.
शिक्षा के अधिकार कानून से लेकर सरकारी स्कूलों में प्रवेश के हाल-बेहाल है। शिक्षा के अधिकारी कानून के तहत जिले में करीब ४० फीसदी सीटें रिक्त रह गई है। तो प्राथमिक से लेकर माध्यमिक स्कूल तक जिले में करीब ८ हजार प्रवेश गत साल से कम हो गए है। जबकि स्कूलों में प्रवेश बढ़ाने को लेकर हर साल कई तरह के आयोजन विभाग द्वारा किया जाता है। लेकिन वे कितने जमीनीस्तर पर पहुंच रहे है। यह जिले के कक्षा एक से लेकर कक्षा आठ तक के नामाकंन बंया कर रहे है।
डीपीसी कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार जिले में करीब ६१७ निजी स्कूलों में छह हजार ८१५ सीटें शिक्षा के अधिकार कानून के तहत तय की गई थी। इस कानून के तहत केवल ३ हजार ७९४ प्रवेश हुए है। दो हजार से अधिक सीटें रिक्त रहने पर संबंधित अधिकारियों से पूछा तो उन्होंने कहा कि इस येाजना में करीब २५ तरह की जानकारियां संबंधितों से मांगी जाती है। उन जानकारियों को एकत्र करने में ही सबसे अधिक समस्या आती है। जिसके चलते कई पालक तो उन दस्तावेजों को एकत्र ही नहीं कर पाते है और प्रवेश नहीं हो पाते है।
स्कूलों में प्रवेश साल दर साल हो रहे कम
जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार इस वर्ष ८६ हजार ३६२ नामांकन हुए है। और गत वर्ष ९३ हजार ४३० नामांकन हुए थे। साल दर साल सरकारी स्कूलों में प्रवेश की संख्या सात से १० हजार घटती जा रही है। जबकि आरटीई, स्कूल चले हम अभियान सहित कई प्रयास नामांकन बढ़ाने के लिए शिक्षा विभाग द्वारा किए जाते है। लेकिन इन प्रयासों का कोई फायदा विभाग को नहीं हो रहा है।
साल दर साल बढ़ रहे स्कूल लेकिन प्रवेश कम
डीपीसी कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार जिले में साल दर साल निजी स्कूलों में बढोत्तरी हो रही है। और उसके अनुसार आरटीई में स्कूलों की संख्या और सीटों की संख्या भी बढ़ रही है। लेकिन उन स्कूलों में प्रवेश कम संख्या लगातार कम होती जा रही है। गत साल ३४ फीसदी सीटें रिक्त थी। जो इस साल इस कानून के तहत बढ़कर ४० फीसदी से अधिक हो गई है। इस ओर विभाग द्वारा कोई प्रयास नहीं किया जाता है।
इनका कहना….
आरटीई में सीटें २ हजार रिक्त रह गई है। नामाकंन गत साल से कक्षा एक से आठ तक में कम हुए है। दोनों में हर साल बढ़ाने के प्रयास किए जाते है।
आरएल कारपेंटर, जिला शिक्षा अधिकारी।
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