दरअसल, इन तीन प्रकार के कैमरों में जो सबसे अधिक कारगर माने जा रहे है। वह वाहनों के नंबर स्कैन करने वाले कैमरे है, लेकिन उनका झुकाव भी निश्चित कर रखा है।45 डिग्री ही झुकाव फिक्स है। ऐसे में इन कैमरों के नीचे से निकलने वाले वाहन तो इसमें दिख सकते है, लेकिन आऊट साईड से निकलने वाले वाहन इसमें नहीं दिखते है। फिक्स लगे कैमरों से लेकर पीटीजेड वाले कैमरों की क्षमता भी कम है और वह अधिक दूरी तक की गतिविधियों को नहीं स्कैन कर सकते है। ऐसे में अपराधियों पर निगाह रखने और दूर तक की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए उच्चस्तरीय क्षमता तथा अधिक दूर तक की गतिवधियों को कैद करने वाले कैमरों की आवश्यकता है।
36 स्थानों पर लगे 191 कैमरें
शहर में अलग-अलग स्थानों पर करीब ३६ जगह पर १९१ सीसीटीवी कैमरे लगे है। जो तीन प्रकार के है। इसमें से सिर्फ दो को छोडक़र सभी कैमरे चालू स्थिति में है। नालछा माता क्षेत्रके सिर्फ दो कैमरे तकनीकि कारणों के चलते बंद है। इसके अलावा शहरीय क्षेत्रके बाजार व चौराहों के साथ बायपास क्षेत्रके कैमरें चालू है। जिनसे कंट्रोल रुम से पुलिस पूरे शहर पर निगाह रख रही है। इसमें से ऑटो मेटेकिन नंबर प्लेट को स्कैन करने वाले कैमरे भी लगे है। लेकिन इसमें सिर्फ४५ डिग्री ही झुकाव तय कर रखा है। ऐसे में इसकी जद में आने वाले वाहन के नंबर तो यह कैमरें देख लेते है, लेकिन साईड से निकलने वाले वाहनों के नंबर पर इन कैमरों की निगाह नहीं पहुंचती है। इसके अलावा पीटीजेड कैमरे भी लगे है। इनकी रेंज ५०० मीटर तक की ही होती है। इसके साथ ही फिक्स स्थानों पर भी २ मेगा पिक्सल के कैमरे लगे है। यह भी अपनी रेंज तक की गतिविधियों को कैद करते है। शहर में अनुमानित रुप से सीसीटीवी कैमरों का यह प्रोजेक्ट करीब ५ करोड़ तक का था।