एक माह और नौ दिन में आया फैसला
पुलिस ने गैंगरेप के इस मामले में 12 जुलाई को न्यायालय में चार्जशीट पेश की थी। इसके बाद 18 जुलाई को चार्ज पर लगाया गया था। 30 जुलाई से इस मामले में गवाही शुरु हुई थी। जो ८ अगस्त तक चली थी। इस दौरान करीब 37 गवाहों की गवाही करवाई गई। 14 अगस्त को बहस के लिए तारीख तय की गई थी। और इसके बाद मंगलवार को फैसले के लिए तारीख दी है। इस प्रकरण में 115 दस्तावेज साक्ष्य पेश किए गए है। इस प्रकरण में एक माह और 9 दिन में न्यायालय द्वारा फैसला आया। सीएसपी राकेश मोहन शुक्ला ने बताया कि आरोपियों को सुरक्षा के बीच जेल से न्यायालय लाया जाएगा। जहां पर पर्याप्त सुरक्षा बल तैनात किया गया।
सुबह दोषी माना, दोपहर में दी फांसी
मंगलवार को सुबह कोर्ट की सुनवाई शुरु होते ही कुछ ही देर में न्यायाधीश ने दोनों को दोषी करार दे दिया। सुबह के समय भी कड़ी सुरक्षा के बीच दोनों को न्यायालय लाया गया। इसके बाद फिर जेल ले गए। जहां से दोपहर ३ बजे के करीब फिर से दोनों को कोर्ट लाया गया। जहां कुछ ही मिनटों में न्यायाधीश का फैसला आ गया और दोनों को फांसी की सजा दी गई। कोर्ट ने मंगलवार को सुनवाई शुरु होते ही सुबह दोषी माना और दोपहर बाद फांसी की सजा सुना दी। 26 जून को बालिका के साथ हुई घटना के बाद पूरा मंदसौर दरिंदों को फांसी की सजा देने की मांग को लेकर सडक़ो पर उतर आया था।
मंगलवार को सुबह कोर्ट की सुनवाई शुरु होते ही कुछ ही देर में न्यायाधीश ने दोनों को दोषी करार दे दिया। सुबह के समय भी कड़ी सुरक्षा के बीच दोनों को न्यायालय लाया गया। इसके बाद फिर जेल ले गए। जहां से दोपहर ३ बजे के करीब फिर से दोनों को कोर्ट लाया गया। जहां कुछ ही मिनटों में न्यायाधीश का फैसला आ गया और दोनों को फांसी की सजा दी गई। कोर्ट ने मंगलवार को सुनवाई शुरु होते ही सुबह दोषी माना और दोपहर बाद फांसी की सजा सुना दी। 26 जून को बालिका के साथ हुई घटना के बाद पूरा मंदसौर दरिंदों को फांसी की सजा देने की मांग को लेकर सडक़ो पर उतर आया था।
यह था मामला
26 जून को एक निजी विद्यालय से सात वर्षीय बालिका का अपहरण आसिफ और इरफान ने किया था। वे लक्ष्मण दरवाजे के पास जंगल में बालिका को ले गए थे। जहां पर उन्होंने दुष्कर्म किया और उसका गला चाकू से रेंत कर मृत समझकर वहां से फरार हो गए थे। 27 जून को करण नामक बालक जब जा रहा था तो उसे जंगल में बालिका दिखी थी। बालिका को करण नामक युवक लक्ष्मण दरवाजा पर नरेंद्र सोनी के सुर्पुद कर गया था। जहां पर नरेंद्र सोनी ने दो पुलिसकर्मियों के बालिका को सुर्पद किया। बालिका को जिला अस्पताल लाए। यहां से प्राथमिक उपचार के बाद डॉक्टरों ने बालिका को इंदौर रैफर कर दिया था।