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किसानों ने फिर वहीं से भरी हुुंकार जहां दो साल पहले हुआ था नरसंहार

locationमंदसौरPublished: Oct 19, 2019 11:07:08 am

Submitted by:

Nilesh Trivedi

किसानों ने फिर वहीं से भरी हुुंकार जहां दो साल पहले हुआ था नरसंहार

किसानों ने फिर वहीं से भरी हुुंकार जहां दो साल पहले हुआ था नरसंहार

किसानों ने फिर वहीं से भरी हुुंकार जहां दो साल पहले हुआ था नरसंहार

मंदसौर.
नई अफीम नीति के विरोध में काश्तकारों का आंदोलन लगातार उग्र होता जा रहा है। शुक्रवार को किसानों ने आरपार की लड़ाई लडऩे के इरादे से एक बार फिर प्रदर्शन किया। धरना उसी स्थान पर दिया जहां दो साल पहले किसान आंदोलन में नरसंहार हुआ था। किसान नेता ने सांसद पर गंभीर आरोप लगाए। यहां तक कहा कि सांसद नारकोटिक्स विभाग से हर साल २ से ३ करोड़ रुपए लेते हैं। नई अफीम नीति इसी का परिणाम है। हजारों किसानों को पट्टों से वंचित किया गया। प्रधानमंत्री १० आरी की अफीम बेचने में असमर्थ हैं तो हमें कहें हम बिकवा देंगे।

…नहीं तो करेंगे जंगी प्रदर्शन
शुक्रवार को अमृतराम पाटीदार ने सैकड़ों किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि आज सांसद सुधीर गुप्ता को हमारे बीच होना था, लेकिन वो हरियाणा में चुनाव प्रचार कर रहे हैं। वहां वे मजे ले रहे हैं, यहां किसान परेशान हो रहा है। सांसद को किसानों से कोई लेना देना नहीं है। आजादी के बाद पहले बार इतनी घटिया अफीम नीति घोषित की गई है। हमारी मांग है कि अफीम का दाम १० हजार रुपए प्रतिकिलो किया जाए। कम से कम १० आरी के पट्टे दिए जाएं। किसानों के यहां रखा डोडाचूरा जल्द से जल्द खरीदा जाए। इसके लिए प्रदेश या केंद्र सरकार जल्द निर्णय ले। डोडाचूरा खरीदी को लेकर अंतिम निर्णय नहीं होने से तस्करी बढ़ गई है। पुलिस किसानों को पर झूठे प्रकरण दर्ज कर तस्कर बना रही है। ५ नवंबर तक की डेडलाइन दे रहे हैं। इस समयावधि में यदि नई अफीम नीति में संशोधन नहीं हुआ। साथ ही प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने किसानों का कर्जा माफ नहीं किया तो साथी उग्र आंदोलन के लिए तैयार रहे। अपने हक के लिए हम जंगी प्रदर्शन करेंगे। दीपावली के बाद नीमच पहुंचकर डीएनसी कार्यालय का घेराव किया जाएगा।

किसानों के आक्रोश का केंद्र रहे सांसद व केंद्र सरकार
जून-२०१७ में जिस जहां से किसान आंदोलन की शुरुआत हुई थी। शुक्रवार को उसी स्थान से अफीम किसानों ने एक बार फिर आंदोलन की हुंकार भरी। सुबह ११ बजे धरना शुरू हुआ। दोपहर ३ बजे तक धरना, विरोध प्रदर्शन और नारेबाजी का दौर चला। इस दौरान पूरे समय अफीम किसानों के निशानें पर सांसद व केंद्र सरकार रहे। किसानों ने अफीम नीति और मार्फिन के साथ पट्टे और नामांतरण के नाम पर हो रहे भ्रष्टाचार पर रोष प्रकट किया। किसान नेता अमृतराम पाटीदार के आह्वान पर किसानों ने सांसद सुधीर गुप्ता के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। इस दौरान यहां बड़ी संख्या में अफीम किसान एकत्रित हुए थे।

आशंका के चलते तैनात रहा भारी पुलिस बल
अफीम किसान के प्रदर्शन को लेकर शुक्रवार को फोरलेन क्षेत्र में भारी पुलिस फोर्स तैनात रहा। यहां वरिष्ठ पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी भी मौजूद रहे। फोरलेन पर किसी प्रकार आवागमन बाधित न हो इसके पुख्ता इंतजाम किए गए थे। एक तरफ का मार्ग बंद कर दिया गया था। पूरे क्षेत्र को पुलिस छावनी में तब्दील कर दिया गया था। किसानों के प्रदर्शन की वजह से मार्ग के एक ओर काफी लम्बा जाम लग गया था। किसानों के प्रदर्शन को दृष्टिगत रखते हुए दो-तीन दिन पहले से ही पुलिस मुस्तैद हो गई थी। किसानों के प्रदर्शन को लेकर गांवों में भी पुलिस द्वारा इनपुट जुटाए गए थे। किसानों के प्रदर्शन पर नजर रखने के लिए एसडीएम रोशनी पाटीदार, एसडीओपी दिलीप बिलवाल सहित भारी पुलिस बल पूरे समय मौके पर मौजूद रहा।

मार्फिन की अनिवार्यता हो समाप्त, मिलें १० आरी के पट्टे
प्रधानमंत्री, वित्तमंत्री, वित्तराज्य मंत्री और मुख्यमंत्री के नाम सांैपे गए ज्ञापन में मार्फिन की अनिवार्यता समाप्त करते हुए औसत आधार पर पट्टे दिए जाएं। किसानों को कम से कम १० आरी के पट्टे दिए जाएं। अफीम नीति निर्धारण में किसानों की सहभागिता तय हो। १० हजार रुपए प्रतिकिलो खरीदी जाए अफीम। १९९० से अभी तक कटे सभी पट्टे बहाल किए जाएं। प्राकृतिक आपदा के दौरान अफीम काश्तकारों को राहत दी जाएं। नामांतरण में पौत्र-पौत्री को रक्त संबंध में माना जाए। इस साल ४.५ मार्फिन को लेकर कटे हुए पट्टे बहाल किए जाएं। प्राकृतिक आपदा में वर्ष २०१३-१४ में काटे गए पट्टों को बिना शर्त बहाल किया जाए। प्रदेश सरकार ने किसानों ने कर्जमाफी का वादा किया था उसे ५ नवंबर तक हर हाल में पूरा किया जाए। रबी सीजन में किसानों को खाद-बीज खरीदी में राहत प्रदान की जाए।

सांसद ने कहा
सांसद सुधीर गुप्ता ने कहा कि यह विरोध अफीम कास्तकार नहीं कांग्रेस कर रही है। अनर्गल आरोप लगाए जा रहे है। कांग्रेस की सरकार के समय जो पट्टे कटे थे। वो इस सरकार में बहाल करवाए है। हर स्तर पर अफीम कास्तकारों की मांगों को उठाया है। किसान आंदोलन में जिन लोगों की भूमिका रही है। वही लोग फिर से किसानों में भ्रम फैला रहे है।
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