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अनाज की कालाबाजारी की तैयारी शुरु, त्योहार में खपाएंगे अनाज

locationमंडलाPublished: Oct 19, 2019 03:13:46 pm

Submitted by:

Mangal Singh Thakur

राशन दुकानों में ऑनलाइन के बजाय ऑफ लाइन खाद्यान्न वितरण

Preparation of black marketing of cereals starts, grains will be consu

Preparation of black marketing of cereals starts, grains will be consu

मंडला. त्योहारों का मौसम शुरु हो चुका है साथ ही जिले भर में सैकड़ों राशन दुकानों में से अनेक में अनाज की कालाबाजारी भी शुरु हो चुकी है। हितग्राहियों को पीओएस मशीनों के जरिए नहीं बल्कि ऑफलाइन पद्धति से नहीं अनाज वितरण किया जा रहा है। इस कारण जिले भर के हजारों हितग्राहियों को वितरित किए जा रहे खाद्यान्न की सतत मॉनिटरिंग जमकर बाधित हो रही है। शासकीय उचित मूल्य दुकानों की मॉनिटरिंग ठप पडऩे का लाभ जिले के अनेक राशन दुकान संचालक ले रहे हैं। कम अनाज का वितरण कर हितग्राहियों के हिस्से का अनाज कालाबाजार में खपाए जाने की प्रक्रिया जोर पकड़ रही है। जिले के दूरस्थ अंचलों में यह मनमानी धड़ल्ले से की जा रही है। अक्टूबर के महीने में जिला खाद्य आपूर्ति विभाग ने हजारों क्विंटल अनाज जिले के अलग अलग क्षेत्रों की राशन दुकानों को उपलब्ध कराया है। विभागीय आंकड़ों के अनुसार, अक्टूबर 2019 के लिए जिले भर में गेहंू के लिए 25 हजार 571 क्विंटल का कोटा जारी किया गया है और चावल के लिए 35 हजार 112 क्विंटल का कोटा उपलब्ध कराया गया है। लेकिन यह खाद्यान्न कोटे के अनुसार, हितग्राहियों तक पहुंचेगा या नहीं, इस पर विभाग मौन है।
522 दुकानें, 21 मशीनें चालू
जिले भर में शासकीय उचित मूल्य की कुल 522 दुकानों का संचालन किया जा रहा है। इन सभी दुकानों से वितरित हो रहे खाद्यान्न की सतत मॉनिटरिंग की जा सके, इसके लिए पीओएस मशीनों के जरिए ऑनलाइन आवंटन की प्रक्रिया अपनाई गई थी। जिले के सभी राशन दुकानों में कुल 522 मशीने उपलब्ध कराई गई थी लेकिन फिलहाल मात्र 21 राशन दुकानों में पीओएस मशीनों से खाद्यान्न वितरण किया जा रहा है। शेष 501 दुकानों के संचालक ऑफलाइन खाद्यान्न का ही वितरण कर रहे हैं।
फेल हो गई तकनीक
विभागीय सूत्रों के मुताबिक, राशन दुकानों से पीओएस मशीनों के जरिए खाद्यान्न वितरण की प्रक्रिया जमकर बाधित हो रही है क्योंकि आदिवासी इलाके के ग्रामीण और दूरस्थ अंचलों में इंटरनेट काम ही नहीं करता। एक के बाद एक लगातार कई तकनीकी खामियों के कारण हितग्राहियों को खाद्यान्न का वितरण नहीं हो पा रहा था। इसकारण अब वहां ऑफलाइन पद्धति से ही खाद्यान्न का वितरण किया जा रहा है। मवई क्षेत्र के युवा हितग्राही समरू नंदा, राजकुमार पटेल, सरजू सैयाम का कहना है कि यही से खाद्यान्न की कालाबाजारी शुरु हो रही है। जो ग्रामीण अधिक पढ़े लिखे नहीं है उन्हें ही राशन दुकान संचालक अपनी कालाबाजारी का शिकार बना रहे हैं। बिछिया क्षेत्र हितग्राही सविता बाई, नरबदिया बाई, सुधिया नंदा का कहना है कि एक दिन की मजदूरी छोड़कर राशन दुकानों की लंबी कतार मे लगने के बाद जितना अनाज मिल रहा है, वह उसी में संतुष्ट हैं,यदि शिकायत करेंगे तो यह खाद्यान्न भी नहीं मिलेगा।

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