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गुरुपूर्णिमा महोत्सव शुरू, कल मनाई जाएगी गुरु पूर्णिमा, आश्रमों में होंगे अनुष्ठान

locationमंडलाPublished: Jul 15, 2019 02:34:53 pm

Submitted by:

amaresh singh

महोत्सव की तैयारियां अंतिम चरण में

Guruparnima festival begins tomorrow will be celebrated

गुरुपूर्णिमा महोत्सव शुरू, कल मनाई जाएगी गुरु पूर्णिमा, आश्रमों में होंगे अनुष्ठान

मंडला। शहर के साथ साथ ग्रामीण अंचलों में गुरु पूर्णिमा महोत्सव मनाए जाने की तैयारियां अंतिम चरण में है। इसके साथ ही १६ जुलाई को आयोजित होने वाले पर्व गुरू पूर्णिमा के लिए महाराजपुर के बाबा धनीराम आश्रम, गोंझी स्थित स्वामी रामदास आश्रम एवं हनुमान घाट स्थित स्वामी सीताराम आश्रम में गुरूपूर्णिमा के लेकर तैयारियां पूर्ण हो चुकी है। मंगलवार को यहां शहर और आसपास के ग्रामीण अंचल के साथ ही अन्य प्रदेश छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र के लोग पहुंचेंगे और समाधि स्थलों में शीश नवाएंगे। गुरु आश्रमों के साथ साथ अन्य मंदिरों में भी विभिन्न आयोजन किए जाएंगे।


ज्ञान, शांति और योग शक्ति की प्राप्ति
पंडित राकेश शास्त्री ने बताया कि आषाढ़ मास की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा कहते हैं। इस दिन गुरु पूजा का विधान है। गुरु पूर्णिमा वर्षा ऋतु के आरम्भ में आती है। इस दिन से चार महीने तक परिव्राजक साधु-सन्त एक ही स्थान पर रहकर ज्ञान की गंगा बहाते हैं। ये चार महीने मौसम की दृष्टि से भी सर्वश्रेष्ठ होते हैं। न अधिक गर्मी और न अधिक सर्दी। इसलिए अध्ययन के लिए उपयुक्त माने गए हैं। जैसे सूर्य के ताप से तप्त भूमि को वर्षा से शीतलता एवं फसल पैदा करने की शक्ति मिलती है। वैसे ही गुरु चरणों में उपस्थित साधकों को ज्ञान, शान्ति, योग शक्ति और भक्ति प्राप्त करने की शक्ति मिलती है।


गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है
पंडित लक्ष्मीकांत द्विवेदी का कहना है कि गुरू पूर्णिमा का दिन महाभारत के रचयिता कृष्ण द्वैपायन व्यास का जन्मदिन भी है। वे संस्कृत के प्रकांड विद्वान थे और उन्होंने चारों वेदों की भी रचना की थी। इस कारण उनका एक नाम वेद व्यास भी है। उन्हें आदिगुरु कहा जाता है और उनके सम्मान में गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। भक्तिकाल के संत घीसादास का भी जन्म इसी दिन हुआ था वे कबीरदास के शिष्य थे। शास्त्रों में ”गु” का अर्थ बताया गया है अंधकार या मूल अज्ञान और ”रु” का अर्थ किया गया है उसका निरोधक। गुरु को गुरु इसलिए कहा जाता है कि वह अंधकार को हटाकर प्रकाश की ओर ले जाता है। वेदों में कहा गया है कि जैसी भक्ति की आवश्यकता देवता के लिए है वैसी ही गुरु के लिए भी।


पवित्र नदियों में लोग स्नान करते हैं
जिले में गुरू पूर्णिमा का पर्व बड़ी श्रद्धा व धूमधाम से मनाया जाएगा। प्राचीन काल में जब विद्यार्थी गुरु के आश्रम में निशुल्क शिक्षा ग्रहण करता था तो इसी दिन श्रद्धा भाव से प्रेरित होकर अपने गुरु का पूजन करके उन्हें अपनी क्षमता के अनुसार दक्षिणा देता था। आज भी इसका महत्व कम नहीं हुआ है। पारंपरिक रूप से शिक्षा देने वाले विद्यालयों में संगीत और कला के विद्यार्थियों में आज भी यह दिन गुरु को सम्मानित करने का होता है। मंदिरों में पूजा अर्चन के बाद पवित्र नदियों में लोगों द्वारा स्नान किया जाता है तथा भंडारे का आयोजन किया जाता है। नगर के सरस्वती शिशु मंदिर और महर्षि विद्या मंदिर में भी विशेष प्रार्थना की जाएगी।

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