मंडलाPublished: May 22, 2019 11:26:58 am
Mangal Singh Thakur
34 योजनाएं ठप, 33 योजनाएं अधर में
410 नल जल योजना भी नहीं बुझा पा रहे ग्रामीणों की प्यास
मंडला. भीषण गर्मी के इस दौर में ग्रामीण क्षेत्रों के लोग पानी-पानी को तरस रहे हैं। अनेक पंचायतो में महिनो से नलजल योजनाएं बंद है। इनको ठीक करने की दिशा में पीएचई विभाग कोई ध्यान नहीं दे रहा है। पंचायत में इतना फंड भी नहीं है कि वे योजनाओं को चालू करा सकें। वर्तमान में जिले की 34 नल-जल योजनाएं ठप पड़ी हुई हैं। योजनाओं के ठप पडऩे से ग्रामीण अंचलों में जल संकट गहराने लगा है। जल्द ही इन योजनाओं को दुरुस्त नहीं किया गया तो आने वाले समय में पानी की किल्लत और बढ़ सकती है। जिले के नौ विकास खंडों में 410 नल-जल योजनाएं संचालित हो रही हैं। इन योजनाओं के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में पानी पहुंचाया जा रहा है। नलजल योजना बंद होने से पानी की किल्लत पैदा हो गई है। कई ग्राम तो ऐसे हैं, जहां नल-जल योजना पहुंची ही नहीं है। लोग कुएं के दूषित पानी पीने को मजबूर हैं। वहीं 33 नई योजनाओं पर कार्य चल रहा है। जहां पेयजल की समस्या थी ऐसे गांव में नल योजना की स्वीकृति प्रदान की गई है।
जानकारी के अनुसार विभिन्न कारणों के चलते 34 नलजल योजनएं बंद हैं। बिजली आपूर्ति बाधित है तो कहीं पाईप लाईन क्षति ग्रस्त हो गई है। कुछ योजनाएं की जिम्मेदारी पंचायत नहीं उठाना चाह रही है। जिसके चलते ग्रामीणों को पानी के लिए तरसना पड़ रहा है। सबसे अधिक योजनाएं स्त्रोत सूखने के कारण प्रभावित हुई है। जिसको फिर से चालू करने के लिए पीएचई विभाग द्वारा अलग से बोर करने की व्यवस्था बनाई जा रही है। विशेषज्ञों की मानें तो इन क्षेत्रों में जलस्तर बहुत नीचे होने के कारण यहां नलजल योजना शुरु नहीं की जा सकती है। लगातार गिरते जलस्तर के कारण यह समस्या यहां पैदा हो गई है। जिले में औसम 200 फिट में पानी मिल जाता है गर्मी के सयम में पानी लगभग 75 फिट नीचे चला गया है। जिसके कारण योजनाएं बंद होती जा रही हैं। कई ग्रामों में तो यह हालात हैं कि समाजिक कार्यक्रमों के दौरान टेंकर से पानी बुलाना पड़ता है।
विद्युत आपूर्ति के कारण भी पानी की समस्या उत्पन्न हो रही है। सही वोल्टेज न मिलने व विद्युत लाईन क्षतिग्रस्त होने के कारण कुछ योजनाएं बंद पड़ी हुई हैं। पीएचई विभाग के आला अधिकारी इन योजनाओं को दुरुस्त करने में लगे हुए हैं, जल्द ही इन योजनाओं को शुरु करने की संभावना जताई जा रही है। बिजली की समस्या से प्रभावित क्षेत्रों में सोलर ऊर्जा से संचालित योजनाएं चालू की गई है। लेकिन उसमें भी खराबी आने से कई दिनों तक पानी सप्लाई बाधित हो जाती है।
फ्लोराइड युक्त पानी पीने को मजबूर
जहां योजनाएं बंद है वहां के लोग लंबा सफर तय कर रहे हैं या दूषित पानी से ही अपनी प्यास बूझा रहे हैं। जानकारी के अनुसार जिले के 4 सौ से भी अधिक गांव फ्लोराइड प्रभावित हैं, यहां पानी में फ्लोराइड मिलता है। मोहगांव, घुघरी और मंडला ब्लॉक सबसे ज्यादा फ्लोराइड प्रभावित ब्लॉकों में शामिल हैं। यहां के अधिकांश गावों में फ्लोराइड पाया जाता है। गहरी खुदाई करने पर ही फ्लोराइड मिलता है, जिसके चलते यहां नल-जल योजना शुरु नहीं की जा सकती है। नल-जल योजना वहां शुरु की जा सकती है, जहां जलस्तर अच्छा हो। विभाग द्वारा निरीक्षण नहीं किए जाने के कारण ग्रामीण क्षेत्र में लोग हैंडपंप से निकलने वाले फ्लोराइडयुक्त पानी पीने पर मजबूर हैं। कई गांवों में रिमूवल प्लांट लगाया गया है, जिसमें पानी आने की प्रक्रिया में देरी होने के कारण ग्रामीणों द्वारा डिसकनेक्ट कर दिया गया है। पेयजल को लेकर विभाग द्वारा स्वच्छता अभियान चलाने में महज औपचारिकता ही बरती जाती है।