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32 बच्चे देख सकेंगे रंग बिरंगी दुनिया

locationमंडलाPublished: Feb 17, 2018 10:28:33 am

Submitted by:

shivmangal singh

चित्रकूट में होगी आंखो की सर्जरी, कलेक्टर ने बच्चों को किया रवाना

32 children will see colorful world
मंडला. सतना जिले के चित्रकूट स्थित सद्गुरु नेत्र चिकित्सालय जानकी कुण्ड में जिले के ३२ बच्चों की आंखों की सर्जरी की जाएगी। इन सभी बच्चों को जिला अस्पताल परिसर से कलेक्टर सूफिया फारुखी ने विशेष वाहनों के जरिए रवाना किया। गौरतलब है कि वर्ष २०१७ में 11 से 12 अक्टूबर को जन्मजात मोतियाबिंद और दृष्टिबाधित बच्चों के लिए शिविर का आयोजन जिला शीघ्र पहचान हस्तक्षेप केन्द्र, जिला चिकित्सालय में किया गया था। शिविर में 132 बच्चों के आंखों की जांच की गई। जिसमें 57 बच्चे सर्जरी के लिए चयनित किए गए। इनमें से ३२ बच्चे ही जिला अस्पताल पहुंचे, जहां से इन्हें चित्रकूट स्थित नेत्र चिकित्सालय के लिए रवाना किया गया।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की योजना राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) के अंतर्गत 0 से 18 वर्ष तक के बच्चों को नि:शुल्क स्वास्थ्य सेवाएं देने का प्रावधान है जिससे पीडि़त बच्चे निरोगी हो और एक स्वस्थ्य समाज एवं उज्जवल भविष्य का निर्माण हो। इसी उद्देश्य से आरबीएसके अंतर्गत नेत्र शिविर का आयोजन किया गया था। बच्चों को रवाना करने के दौरान जिला अस्पताल में कलेक्टर वली के अलावा संयुक्त कलेक्टर सुलेखा ठाकुर, सीएमएचओ डॉ. श्रीनाथ सिंह, अपर कलेक्टर मनोज कुमार ठाकुर, संयुक्त कलेक्टर सुलेखा ठाकुर, नोडल अधिकारी डॉ. एसपी दुबे, डॉ. तरूण अहिरवार, डॉ. जीएस कोरी, डॉ. वायके झारिया, डीपीएम डॉ. जेपी सिंह, आरबीएसके की टीम से जिला समन्वयक राजाराम चक्रवर्ती, डॉ. ललित चतुर्वेदी, एएनएम हेमलता विश्वकर्मा, बबीता रघुवंशी आदि उपस्थित रहे। आरबीएसके जिला समन्वयक राजाराम चक्रवर्ती ने बताया कि कुछ नवजात शिशुओं में जन्मजात विकार हो जाते है। उनमें से अधिकांश विकार ठीक हो सकते है, यदि उनका समय पर उपचार और चिकित्सा सेवा का लाभ मिल जाए लेकिन ग्रामीण क्षेत्र एवं शहरी क्षेत्रों में जागरूकता के अभाव के कारण बच्चो में आए विकार को पहचान नहीं पाते और आगे चलकर ऐसे बच्चे शारीरिक और मानसिक रूप से विकृत हो जाते है। आरबीएसके टीम सरकारी और अर्धसरकारी विद्यालयों एवं आँगनवाड़ी केन्द्रों पर जाकर पंजीकृत बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण करते है। यहां अस्वस्थ्य बच्चो को चिन्हित करके उन्हे नि:शुल्क उच्च चिकित्सा सेवाओं के लिये सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों, जिला चिकित्सालय और मेडिकल कालेज में ले जाया जाता है। जहाँ डीईआईसी के माध्यम से इन बच्चो को संबन्धित विभाग से निरूशुल्क उपचार दिलाया जाता है।
योजना के तहत विभिन्न बीमारियों का होता है इलाज
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ श्रीनाथ सिंह ने बताया कि कुछ नवजात शिशुओं में जन्म से जन्मजात विकार हो जाते है। जिसका समय पर उपचार मिलने पर वह ठीक भी हो सकता है। ऐसे ही नवजात में जन्म से मोतियाबिंद, जन्मजात मूक एवं बघिर, जन्मजात कटा होंठ या तालू, जन्मजात ठेढे मेढे पैर, जन्मजात तंत्रिका नली दोष एवं रीढ़ सम्बन्धित विकार, जन्मजात आनुवांशिक विकार, जन्मजात हृदय रोग, गम्भीर रक्त अल्पता, विटामिन ए की कमी और रतौंधी, विटामिन डी की कमी, हाथ पैरो का ठेढा पन, कर्ण शोत और कान का बहना, वातरोग ग्रस्त हृदयरोग, वायु संक्रमित रोग, दन्त रोग, मिर्गी, दृष्टि दोष, सुनने मे परेशानी, स्नायु एवं माँसपेशिक कमजोरियां, तंत्रिका तंत्र की कमजोरी, संज्ञानातमक एवं बोधत्मक विकार या पहचान करने में जिससे किसी बात का जवाब देने मे देरी, भाषाज्ञान में कमजोरी, व्यवहार विकार, कुछ सीखने में कठिनाई, अत्यधिक सक्रियता एवं ध्यानभाव विकार समेत अन्य जन्मजात विकार नवजात शिशुओं में होते है। ऐसे बच्चों का जांच, परीक्षण और उपचार जिला चिकित्सालय स्थित जिला शीघ्र पहचान एवं हस्तक्षेप केन्द्र में किया जाता है।
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