script

पुरस्कार मिलने पर जिम्मेदारी भी बढ़ जाती है : डॉ गोपाल

Published: Sep 08, 2018 10:28:08 am

‘शिक्षक दिवस’ के मौके पर राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार से सम्मानित बिहार के शिक्षक डॉ गोपाल का कहना है कि पुरस्कार या सम्मान मिलने से प्रसन्नता तो होती है, लेकिन जिम्मेदारी भी बढ़ जाती है।

Award

Award

‘शिक्षक दिवस’ के मौके पर राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार से सम्मानित बिहार के शिक्षक डॉ गोपाल का कहना है कि पुरस्कार या सम्मान मिलने से प्रसन्नता तो होती है, लेकिन जिम्मेदारी भी बढ़ जाती है। उन्होंने स्पष्ट कहा कि बिहार के बच्चों में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है, राज्य की शिक्षा-व्यवस्था में मौजूदा दौर की तकनीक के अभाव के कारण वे पिछड़ रहे हैं। दिल्ली में राष्ट्रीयशिक्षक पुरस्कार से सम्मानित होने के बाद एक समाचार एजेंसी को दिए साक्षात्कार में उन्होंने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में उनके कामों को लोगों ने सराहा है, लेकिन अभी बहुत कुछ करना बाकी है।

उन्होंने कहा, मंगलवार को प्रधनमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने और उनके तथा अन्य शिक्षकों के विचारों को सुनने के बाद यह अहसास हुआ कि मैंने तो अभी कुछ किया ही नहीं है। अभी तो बहुत कुछ करना शेष है। डॉ गोपाल बिहार के इकलौते शिक्षक हैं, जिनको इस वर्ष राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार प्रदान किया गया है। केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा देशभर से चयनित 45 शिक्षकों को उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने बुधवार को शिक्षक दिवस के मौके पर राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार-2017 प्रदान कर उन्हें सम्मानित किया। इस मौके पर उपराष्ट्रपति ने कहा कि शिक्षक राष्ट्र के विकास के कर्णधार हैं।

वर्तमान में गोपाल सीतामढ़ी जिले के डुमरा प्रखंड के बनचौड़ी स्थित राजकीय उर्दू मध्य विद्यालय में बतौर प्रधानाध्यापक पदस्थापित हैं। सीतामढ़ी जिले के परसौनी प्रखंड के डेमा गांव के मूल निवासी गोपाल ग्रेजुएट हैं और इन्होंने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) से बीएड की उपाधि प्राप्ति की है। वर्ष 2000 से शिक्षक के रूप में सेवा दे रहे गोपाल बनचौड़ी से पहले जगदीशपुर के राजकीय प्राथमिक विद्यालय में कार्यरत थे। वर्ष 2012 में प्रोन्नत कर इन्हें बनचौड़ी उर्दू मध्य विद्यालय का प्रधानाध्यापक बनाया गया।

सम्मानित शिक्षक बताते हैं कि जब वे इस विद्यालय में पहुंचे थे, तब छात्रों की उपस्थिति कम थी, जबकि छात्राओं की संख्या नगण्य थी। वे कहते हैं, मुस्लिम बहुल इस क्षेत्र में पर्दा प्रथा और गरीबी के कारण लोग लड़कियों की शिक्षा के प्रति दिलचस्पी नहीं रखते थे। मैंने लोगों की सोच बदलने का संकल्प लिया। उन्होंने कहा, प्रारंभ में वे घर-घर गए और लोगों को शिक्षा के प्रति जागरूक किया। लड़कियों के लिए शिक्षा की जरूरत बताकर अभिभावकों से लड़कियों को स्कूल भेजने के लिए प्रोत्साहित किया। आज स्थिति यह है कि इस विद्यालय में छात्रों के मुकाबले छात्राओं की संख्या ज्यादा है।

डॉ. गोपाल ने बताया कि लोगों में शिक्षकों के प्रति विश्वास पैदा करने के लिए आसपास के लोगों की मदद से प्रत्येक वर्ष उनके स्कूल में नि:शुल्क चिकित्सा शिविर का आयोजन करवाया जाता है, जिसमें लोगों को मुफ्त में दवा उपलब्ध कराई जाती है। प्रधानमंत्री द्वारा दिए गए सलाह के विषय में पूछे जाने पर गोपाल कहते हैं कि प्रधानमंत्री का मानना है कि शिक्षा के क्षेत्र में बदलाव लाने के लिए शिक्षक को लोगों के दिलों में पैठ बनाने की जरूरत है, तभी बच्चे अच्छा करेंगे। प्रधानमंत्री शिक्षा के क्षेत्र में तकनीक और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पर भी जोर देते हैं।

बिहार में शिक्षा की स्थिति के विषय में पूछे जाने पर गोपाल बेबाकी से कहते हैं कि बिहार में अभी बहुत कुछ किया जाना शेष है। उन्होंने स्पष्ट कहा कि अभी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के क्षेत्र में हमारा राज्य बहुत पिछड़ा है। अन्य राज्यों के विद्यालयों में ‘स्मार्ट क्लासà से पढ़ाई हो रही है, मगर बिहार के बच्चे इसके बारे में जानते भी नहीं हैं।

गोपाल अपने भविष्य की योजना के विषय में कहते हैं कि उनकी इच्छा सीतामढ़ी जिले को शिक्षा के क्षेत्र में अव्वल जिला बनाने की है। उन्होंने कहा कि दृढ़ इच्छाशक्ति और कुछ करने का जज्बा हो तो मंजिल पाई जा सकती है। वे कहते हैं, मैंने अपना कार्य किया था, जिसे लोगों ने पसंद किया और देश का बड़ा सम्मान मिल गया। मैंने पुरस्कार या सम्मान के लिए तो कोई कार्य नहीं किया था, मैं तो बस मनोयोग से अपना कर्तव्यों का पालन कर रहा हूं।

ट्रेंडिंग वीडियो