वर्ष 1955 में जन्मे आर सी जुनेजा ने साइंस में ग्रेजुएशन करने के बाद 1974 में नी फार्मा कंपनी में मेडिकल रिप्रजेंटेटिव के रूप में कॅरियर की शुरुआत की। 1975 में उन्होंने ल्यूपिन कंपनी को जॉइन किया और यहां उन्होंने तकरीबन आठ साल तक फर्स्ट लाइन मैनेजर के रूप में काम किया। 1983 में उन्होंने ल्यूपिन कंपनी से इस्तीफा दे दिया और पार्टनरशिप में अपनी कंपनी बेस्टोकैम शुरू की। 1994 में उन्होंने बेस्टोकैम से अपनी ओनरशिप वापस ले ली और 1995 में अपने छोटे भाई राजीव जुनेजा के साथ 50 लाख रुपए के इन्वेस्टमेंट से मैनकाइंड फार्मा की शुरुआत की।
उनकी प्रारंभिक टीम में 25 मेडिकल रिप्रजेंटेटिव थे। आर सी जुनेजा के सुपरविजन में 1995 में ही यह कंपनी 3.79 करोड़ रुपए की हो गई। जुनेजा ने फार्मा बिजनेस में उतरने का फैसला एक छोटी से घटना से प्रभावित होकर लिया था। दरअसल, अपने कॅरियर की शुरुआत में जुनेजा मेडिकल रिप्रजेंटेटिव के रूप में एक कैमिस्ट शॉप पर खड़े थे, तभी एक व्यक्ति वहां दवा लेने आया, लेकिन उसके पास पैसे नहीं थे। उसको दवाई की इतनी जरूरत थी कि वह दवा की कीमत की एवज में कुछ चांदी के गहने देने लगा।
यही वह पल था जिसने जुनेजा को सोच में डाल दिया कि ऐसा क्या किया जाए जिससे लोगों को जरूरी दवाइयां वाजिब और सस्ती कीमत पर उपलब्ध हो सकें। जुनेजा ने मैनकाइंड शुरू करने के बाद क्वालिटी के साथ प्राइस का भी खास ध्यान रखा। इसके साथ ही वह अपनी बिजनेस स्ट्रैटेजी में भी नियमित इनोवेशन करते रहे। जुनेजा को फोर्ब्स की रिचेस्ट इंडियंस की लिस्ट में भी शामिल किया गया।