scriptलोग उतने बुद्धिमान होते नहीं जितना कि वे होने का दिखावा करते हैं | Most of the people pretend to be intelligent, but are not : study | Patrika News

लोग उतने बुद्धिमान होते नहीं जितना कि वे होने का दिखावा करते हैं

Published: Sep 16, 2018 10:11:04 am

भरोसेमंद लोगों की सामाजिक स्थिति विनम्र लोगों की तुलना में बेहतर होती है। लेकिन अति-आत्मविश्वास नुकसान पहुंचा सकता है।

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भरोसेमंद लोगों की सामाजिक स्थिति विनम्र लोगों की तुलना में बेहतर होती है। लेकिन अति-आत्मविश्वास नुकसान पहुंचा सकता है। क्योंकि कौशल की कमी अक्सर लोगों को अति-आत्मविश्वास की ओर ले जाती है।

वॉल स्ट्रीट जर्नल में हाल ही छपे एक लेख में कहा गया कि अक्सर लोग उतने बुद्धिमान नहीं होते जितना वे खुद को समझते हैं। यह लेख दो मनोवैज्ञानिकों क्रिस्टोफर चैब्रिस और पैट्रिक हेक ने लिखा था। उन्होंने एक अध्ययन का हवाला देते हुए कहा कि 65 फीसदी लोग खुद को दूसरों की तुलना में औसत से ज्यादा अक्लमंद और निर्णायक मानते हैं।
वहीं अध्ययन में शामिल 23 फीसदी लोगों ने कहा कि वे ऐसा नहीं मानते। यानि वे स्वीकार करते हैं कि वे ज्यादा अक्लमंद नहीं हैं और अक्सर निर्णय लेने में गलती कर बैठते हैं। इनमें 12 प्रतिशत ऐसे भी थे जिन्होंने कहा कि वे नहीं जानते कि लोग उन्हें कितना बुद्धिमान समझते हैं। ऐसे विभिन्न शोधों का अध्ययन करने वाले चैब्रिस एक मनोविज्ञानी और न्यूरोसाइंस विशेषज्ञ हैं जो पेंसिल्वेनिया की गीसिंगर हैल्थ सिस्टम के लिए काम करते हंै।
चैब्रिस ने अपने शोध के आधार पर कहा कि ज्यादातर लोग मनुष्य के पूरे जीवन में 10 फीसदी दिमाग का इस्तेमाल कर पाने वाली थ्योरी से इस कदर प्रभावित हैं कि वे इसके परे कुछ सोच ही नहीं पाते। शोध के जरिए वे यह जानना चाहते थे कि लोग ऐसा क्यों सोचते हैं। लोगों पर इस थ्योरी का इतना गहरा असर है कि बृद्धिमान लोग भी इसमें उलझ जाते हैं। जबकि असल वजह यह है कि हम हमारी पूरी क्षमता का इस्तेमाल करने का तरीका ही नहीं जानते। चैब्रिस और उनके साथियों ने २८२१ लोगों पर बुद्धि से जुड़े उनके पसंदीदा मिथकों का अध्ययन किया। ज्यादातर औसत बुद्धिमान ही थे और साधारण व्यक्ति थे।
चैब्रिस और हैक ने कहा कि लोग जानते ही नहीं कि बुद्धि कौशल कैसे हासिल किया जाए। उन्हें मालूम ही नहीं होता कि किसी भी कौशल को सीखने के लिए हमें अपनी कमजोािरयों पर नियंत्रण पाना होता है। इसलिए दूसरों के बारे में राय बनाने से पहले गौर कर लें। क्योंकि जरूरी नहीं कि सक्षम नजर आने वाला हर इंसान काबिल हो।
65% लोगों का मानना है कि वे औसत व्यक्ति की तुलना में ज्यादा अक्लमंद हैं। जबकि हकीकत यह है कि ज्यादातर लोगों को जीवन भर उनका आईक्यू स्तर ही पता नहीं होता। वैज्ञानिकों में अब भी यह बहस का मुद्दा है कि क्या बुद्धिमानी सीखी जा सकती है या फिर यह जन्मजात होती है।
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