क्या आपने इस दिवाली पर सोचा है कि आप मिठाई कम खाएंगे? अपना वजन कम करेंगे? या फिर कोई और ऐसा लक्ष्य जो आपकी दिनचर्या से जुड़ा है। इसके लिए सबसे अहम है कि आप स्व-प्रेरित। खुद को प्रेरित रखने का मतलब है, खुद को लक्ष्य की ओर आगे बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करना। उन बाधाओं को दूर करना जो हमें अपने लक्ष्य से भटका सकती हैं। स्व—प्रेरित रहना एक चुनौती है और आपको इसे स्वीकार करना चाहिए।
‘मेरे लिए यह कर पाना बहुत मुश्किल होगा’, यदि हम ऐसे विचारों में अटक कर रह जाएंगे तो अपना लक्ष्य कभी हासिल नहीं कर सकेंगे और अपने पसंदीदा इंसान भी नहीं बन सकेंगे। खुद को सकारात्मक रखें और हर दिन कदम—दर—कदम आगे बढ़ें। लक्ष्य पूरा होगा और मंजिल आपको जरूर मिलेगी।
आपको खुद के प्रति आश्वस्त रहना भी जरूरी है। यदि आप खुद में ही यकीन नहीं रखेंगे तो खुद के पसंदीदा इंसान कैसे बन सकेंगे। सोचिए, जो कार्य दुनिया का कोई इंसान कर सकता है वह आप भी कर सकते हैं। बस उसके लिए आपको हुनर सीखना होगा, खुद को पारंगत करना होगा और आगे बढऩा होगा। कहते हैं कि मन की जीत सबसे बड़ी जीत है। मन को तभी जीता जा सकता है जब आप खुद पर यकीन करते हैं।
मोटिवेशनल स्पीकर लेस ब्राउन कहते हैं, ‘आपको भूख जगानी होगी!’ यह भूख किसी भी काम की चाह है। दृढ़ इच्छा शक्ति है। यह भूख कड़े परिश्रम और समर्पण से ही मिट सकती है। जितना आपको मिल रहा है उसी से संतुष्ट होने का मतलब है कि आपकी भूख मिट चुकी है। किसी भी क्षेत्र में आगे बढऩा है तो आपको कुछ नया लक्ष्य लेकर उसे पाने की भूख जगानी ही होगी। जैसे—जैसे आप चुनौतियों को पार करते जाएंगे, आपका अपने प्रति प्यार भी बढ़ेगा।
यदि आपको आत्म साक्षात्कार करना है तो लैपटॉप और मोबाइल पर स्क्रॉलिंग को कम करना होगा। आपको पुस्तकों की दुनिया में लौटना होगा। कभी खुद को भी समय देना होगा। आखिरी समय कब था, जब आपने अपनी पसंदीदा पुस्तक के साथ कम से कम एक घंटा बिताया? या वह आखिरी समय कब था जब आप फुर्सत से किसी गार्डन में बैठे। अपने आपको समय दीजिए और फर्क देखिए।
आज के दौर में हम किसी भी बात को सुनते ही उसे समझने से पहले उस पर अपनी प्रतिक्रियादे देते हैं। सामने वाले को बिना सोचे अपना फैसला सुना देते हैं। ऐसा करने से बचना चाहिए। आपको चाहिए कि आप बात को सुनें और उसे शांत मन से समझें। तुरंत निर्णय की स्थिति में न पहुंचें। तुरंत निर्णय की स्थिति आपमें अधीरता, क्रोध, व्याकुलता और आक्रामकता को जन्म दे सकती है। यदि आप शांत मन से सोचेंगे और उसके बाद कोई फैसला करेंगे तो आपको अपने फैसले के साथ ही अपने आप पर भी गर्व होगा।
यह जरूरी है कि आप जो भी कार्य कर रहे हैं या जिस समूह के बीच बैठे हैं वहां अपनी पूरी मौजूदगी रखें। इन दिनों समूह में बैठा व्यक्ति भी मोबाइल फोन की वजह से समूह से जुड़ा नहीं रहता। इससे व्यक्ति में चिंता और व्याकुलता आती है। ऐसे में आपको अपनी मौजूदगी बनाए रखते हुए चिंता से दूर रहने का तरीका सीखना होगा।