पचास के दशक में उन्होंने हिमाचल प्रदेश के शिमला से बीए पास करने के बाद मुंबई का रुख किया। उस समय उनके बड़े भाई मदन पुरी (Madan Puri) हिन्दी फिल्म में बतौर खलनायक अपनी पहचान बना चुके थे। वर्ष 1954 में अपने पहले फिल्मी स्क्रीन टेस्ट में अमरीश पुरी सफल नहीं हुए। उन्होंने अपने जीवन के 40वें वसंत से अपने फिल्मी जीवन की शुरुआत की थी। वर्ष 1971 में बतौर खलनायक उन्होंने फिल्म रेशमा और शेरा से अपने करियर की शुरुआत की, लेकिन इस फिल्म से दर्शकों के बीच वह अपनी पहचान नहीं बना सके। उस जमाने के मशहूर बैनर ‘बॉम्बे टॉकीज’ (Bombay Talkies) में कदम रखने के बाद उन्हें बड़े-बड़े बैनर की फिल्में मिलनी शुरू हो गईं। उन्होंने खलनायकी को ही अपने करियर का आधार बनाया। इन फिल्मों में निशांत, मंथन, भूमिका, कलयुग और मंडी जैसी सुपरहिट फिल्में भी शामिल हैं।
इस दौरान यदि अमरीश पुरी की पसंद के किरदार की बात करें तो उन्होंने सबसे पहले अपना मनपसंद और कभी नहीं भुलाया जा सकने वाला किरदार गोविन्द निहलानी की वर्ष 1983 में प्रदर्शित कलात्मक फिल्म ‘अद्र्धसत्य’ में निभाया। इस फिल्म में उनके सामने कला फिल्मों के अजेय योद्धा ओमपुरी (Om Puri) थे। इसी बीच हरमेश मल्होत्रा की वर्ष 1986 में प्रदर्शित सुपरहिट फिल्म ‘नगीना’ में उन्होंने एक सपेरे की भूमिका निभाई जो लोगों को बहुत भाई। इच्छाधारी नाग को केन्द्र में रख कर बनी इस फिल्म में श्रीदेवी (Sridevi) और उनका टकराव देखने लायक था।
वर्ष 1987 में उनके करियर में अभूतपूर्व परिवर्तन हुआ। वर्ष 1987 में अपनी पिछली फिल्म ‘मासूम’ की सफलता से उत्साहित शेखर कपूर (Shekhar Kapoor) बच्चों पर केन्द्रित एक और फिल्म बनाना चाहते थे जो ‘इनविजिबल मैन’ के ऊपर आधारित थी। इस फिल्म में नायक के रूप में अनिल कपूर (Anil Kapoor) का चयन हो चुका था, जबकि कहानी की मांग को देखते हुए खलनायक के रूप में ऐसे कलाकार की मांग थी जो फिल्मी पर्दे पर बहुत ही बुरा लगे। इस किरदार के लिये निर्देशक ने अमरीश पुरी का चुनाव किया जो फिल्म की सफलता के बाद सही साबित हुआ। इस फिल्म में उनके द्वारा निभाए गए किरदार का नाम था ‘मोगैम्बो’ (Mogambo) और यही नाम इस फिल्म के बाद उनकी पहचान बन गया।
जहां भारतीय मूल के कलाकार को विदेशी फिल्मों में काम करने की जगह नहीं मिल पाती है, वहीं अमरीश पुरी ने स्टीवन स्पीलबर्ग की मशहूर फिल्म ‘इंडियाना जोंस एंड द टेंपल ऑफ डूम’ में खलनायक के रूप में काली के भक्त का किरदार निभाया। इसके लिए उन्हें अंतरराष्ट्रीय ख्याति भी प्राप्त हुई। इस फिल्म के पश्चात उन्हें हॉलीवुड से कई प्रस्ताव मिले जिन्हें उन्होंने स्वीकार नहीं किया क्योंकि उनका मानना था कि हॉलीवुड में भारतीय मूल के कलाकारों को नीचा दिखाया जाता है। लगभग चार दशक तक अपने दमदार अभिनय से दर्शकों के दिल में अपनी खास पहचान बनाने वाले अमरीश पुरी ने 12 जनवरी 2005 को इस दुनिया को अलविदा कह दिया।