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पति की मौत के बाद सती होने के लिए चिता पर बैठी महिला, पुलिस के छूटे पसीने, एसडीएम समेत तमाम अधिकारी मौके पर पहुंचे

locationमैनपुरीPublished: Nov 20, 2018 10:28:26 am

Submitted by:

suchita mishra

बताया जा रहा है कि आजादी के बाद मैनपुरी में सती होने का ये पहला मामला है।

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मैनपुरी। सती प्रथा को खत्म हुए करीब एक अरसा बीत चुका है, लेकिन कुछ लोगों ने आज भी खुद को इन कुप्रथाओं की बेड़ियों में जकड़ रखा है। ताजा मामला मैनपुरी जिले में सामने आया। यहां कोतवाली क्षेत्र के अंगौथा में एक वृद्धा पति की मौत के बाद सती होने के लिए उसकी चिता पर बैठ गई। परिवार वालों ने समझाया लेकिन उसने किसी की बात नहीं मानी। बात आग की तरह पूरे शहर में फैल गई। तमाम ग्रामीण मौके पर इकट्ठे हो गए। महिला की जिद के आगे सभी चुप होकर तमाशा देखने लगे। जैसे ही ये खबर पुलिस को लगी, पुलिस के भी पसीने छूट गए। आनन फानन में पुलिस वहां पहुंची और किसी तरह महिला को चिता से हटाया। फिर कोतवाली ले जाकर महिला को समझा बुझाकर किसी तरह उसके घर वापस भेजा।
ये था पूरा मामला
अंगौथा निवासी 80 वर्षीय गोरेलाल शाक्य किसान थे। रविवार शाम को उनकी मौत हो गई। सोमवार सुबह करीब 10 बजे परिजनों ने गांव के बाहर उनकी अंत्येष्टि के लिए चिता तैयार की। इसी बीच गोरे लाल की पत्नी लौंगश्री चिता पर आकर बैठ गईं। वे किसी भी हाल में चिता से हटने को तैयार नहीं हुईं। लौंगश्री के सती होने की बात तेजी से पूरे शहर में फैल गई। सूचना मिलते ही कोतवाली पुलिस भी मौके पर पहुंच गई। महिला थाने का फोर्स और एसडीएम सदर अशोक कुमार, सीओ परमानंद पांडेय भी मौके पर पहुंच गए। पुलिस समझा रही थी लेकिन महिला जिद छोड़ने के लिए तैयार नहीं थी। जब वो नहीं मानी तो कोतवाली पुलिस उन्हें जबरन उठाकर थाने ले आयी और समझा बुझाकर घर वापस भेजा।
तीस साल पहले कर दिया था ऐलान
लौंगश्री के बेटे विजय बहादुर शाक्य के मुताबिक उनकी मां ने सती होने का ऐलान आज से तीस साल पहले ही कर दिया था। पिता की मौत के बाद जब परिवार के लोगों ने मां को ऐसा करने से मना किया तो वे घर का बुरा होने की बात कहने लगीं। इसके कारण सब शांत हो गए।
सज संवरकर हो गई थीं तैयार
सती होने के लिए महिला ने बाकायदा शादी के समय फेरे के दौरान पहनी जाने वाली चुनरी की साड़ी पहनी। हाथों में हरी चूड़ियां पहनने के बाद उसने पूजा की थाली सजाई। मांग में माथे से ऊपर तक सिंदूर का एक बड़ा सा टीका लगा लिया इसके बाद पूजा की थाली लेकर वो अंतिम संस्कार स्थल की ओर रवाना हो गई। किसी के रोकने पर उसे पाप लगने की दुहाई देने लगी और जबरन जाकर चिता पर बैठ गए।
1829 में सती प्रथा के खिलाफ बना था कानून
बता दें कि सती प्रथा के खिलाफ वर्ष 1829 में कानून बनाकर इसे बंद कराया जा चुका है। अंग्रेजी हुकूमत के दौरान ब्रह्म समाज के संस्थापक राजा राममोहन राय ने इस प्रथा के खिलाफ पूरे देश में बड़ा आंदोलन चलाया था। उनके आंदोलन के कारण अंग्रेजी हुकूमत को कानून बनाकर इसे बंद कराना पड़ा था। जानकारों के मुताबिक मैनपुरी में आजादी के बाद सती होने का ये पहला मामला है।

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