ऐसे हो रहा सर्वे
शिक्षा विभाग के डीआरजी रमेश जैन के अनुसार गांव या क्षेत्र के शिक्षित लोग अपने मोबाइल पर एसएलएम (स्टेट लिट्रेसी मिशन) एप डाउनलोड कर इसके माध्यम से आसपास की स्थिति अपलोड करते हैं। इसका सत्यापन स्थानीय माध्यमिक विद्यालय के हेडमास्टर करते हैं, जिसके बाद सत्यापित आंकड़े एप्लीकेशन पर अपलोड किए जाते हैं।
शिक्षा विभाग के डीआरजी रमेश जैन के अनुसार गांव या क्षेत्र के शिक्षित लोग अपने मोबाइल पर एसएलएम (स्टेट लिट्रेसी मिशन) एप डाउनलोड कर इसके माध्यम से आसपास की स्थिति अपलोड करते हैं। इसका सत्यापन स्थानीय माध्यमिक विद्यालय के हेडमास्टर करते हैं, जिसके बाद सत्यापित आंकड़े एप्लीकेशन पर अपलोड किए जाते हैं।
इस वर्ष अब तक कहां कितने
ब्लॉक निरक्षर
उज्जैन ग्रामीण १३६७
उज्जैन शहर ६८३
बडऩगर ११६६
महिदपुर २६४३
घट्टिया १४२१
तराना २१३५
खाचरौद १६२१ एक्सपर्ट व्यू
लिटरेसी के लिए जिस तरह से कैंपेन चलाए जाना चाहिए नहीं चल पा रहे हैं। केवल सरकारी कैंपेन में आंकड़े दिखाते हैं। वास्तवित काम अब भी बाकी है। लिटरेसी के दो अर्थ हैं। एक तो जिनमें छोटे बच्चे स्कूल ही नहीं जाते, दूसरा जो बड़े हो गए और अब तक स्कूल से दूर हैं। उन्हें शिक्षित करने के लिए सामाजिक स्तर पर काम करने की आवश्यकता है। नई शिक्षा नीति में बहुत कुछ शामिल किया, लेकिन इसमें नए कैंपेन की बात नहीं है। इसे भी शामिल किया जाना चाहिए। यदि हमने बच्चों को पढऩे की ओर मोड़ दिया तो हमारे कैंपेन सफल रहेंगे। मेरा सुझाव यह है कि शिक्षा विभाग से सेवा निवृत्त शिक्षकों, अधिकारियों को एकत्रित कर उन्हें शिक्षादूत या ज्ञानदूत बनाकर काम लिया जा सकता है, जिन पर कसी प्रकार का खर्च नहीं करना पड़ेगा और वे निरक्षरों को साक्षरता की ओर मोड़ सकेंगे।
-ब्रजकिशोर शर्मा, सेनि संयुक्त संचालक
ब्लॉक निरक्षर
उज्जैन ग्रामीण १३६७
उज्जैन शहर ६८३
बडऩगर ११६६
महिदपुर २६४३
घट्टिया १४२१
तराना २१३५
खाचरौद १६२१ एक्सपर्ट व्यू
लिटरेसी के लिए जिस तरह से कैंपेन चलाए जाना चाहिए नहीं चल पा रहे हैं। केवल सरकारी कैंपेन में आंकड़े दिखाते हैं। वास्तवित काम अब भी बाकी है। लिटरेसी के दो अर्थ हैं। एक तो जिनमें छोटे बच्चे स्कूल ही नहीं जाते, दूसरा जो बड़े हो गए और अब तक स्कूल से दूर हैं। उन्हें शिक्षित करने के लिए सामाजिक स्तर पर काम करने की आवश्यकता है। नई शिक्षा नीति में बहुत कुछ शामिल किया, लेकिन इसमें नए कैंपेन की बात नहीं है। इसे भी शामिल किया जाना चाहिए। यदि हमने बच्चों को पढऩे की ओर मोड़ दिया तो हमारे कैंपेन सफल रहेंगे। मेरा सुझाव यह है कि शिक्षा विभाग से सेवा निवृत्त शिक्षकों, अधिकारियों को एकत्रित कर उन्हें शिक्षादूत या ज्ञानदूत बनाकर काम लिया जा सकता है, जिन पर कसी प्रकार का खर्च नहीं करना पड़ेगा और वे निरक्षरों को साक्षरता की ओर मोड़ सकेंगे।
-ब्रजकिशोर शर्मा, सेनि संयुक्त संचालक