BJP सांसद व विधायक का सिफारिशी खत देख नाराज हुआ अधिकारी, लेखपाल को निलंबित कर दिया मुख्यमंत्री के निर्देश के बावजूद जनप्रतिनिधियों का अफसरों पर दबाव बनाया जाना जारी है। हद तो यह है कि सत्ता पक्ष से जुड़े नेता अफसरों की कुर्सी तक कब्जिया लेते हैं। हाल ही बस्ती जिले के एक एसडीएम की कुर्सी पर सत्ता पक्ष एक नेता द्वारा कब्जा करने का मामला खासा चर्चा में रहा है। जनप्रतिनिधि कहते हैं कि आखिर वे जनता के प्रतिनिधि हैं, ऐसे में जनता के काम के लिए वे अधिकारियों से नहीं कहेंगे तो किससे कहेंगे। हर काम मुख्यमंत्री और मंत्री से होता नहीं। अब जनप्रतिनिधि और प्रशासन में टकराव तय है। बेअंदाज अफसर तो जनप्रतिनिधियों के सिफारिशी चिट्ठी संग्रह कर उसे मुख्यमंत्री तक पहुंचाने तक से गुरेज नहीं कर रहे।
इन दिनों सिद्धार्थनगर जिले का एक मामला चर्चा में है। यहां एक लेखपाल के स्थानांतरण के लिए सांसद जगदंबिका पाल और सदर विधायक श्याम धनी राही ने जिलाधिकारी को अपने पैड पर चिट्ठी लिखी थी जो नियम कायदे से गलत नहीं है। सूत्रों से पता चला है कि जिलाधिकारी ने जनप्रतिनिधियों के इस चिट्ठी का संज्ञान लेने के बजाय, अपने अधिनस्थ एसडीएम के मार्फत उस लेखपाल को निलंबित करवा दिया। जिलाधिकारी के इस रूख से जनप्रतिनिधि हक्का बक्का रह गए।
लेकिन यह मामला यूं ही नहीं है। इसके पीछे की कहानी कुछ और है। जिले में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का आगमन प्रस्तावित है। जिला प्राशसन सब कुछ चाक चैबंद दिखाने के लिए आंकड़ों को दुरूस्त करा रहा है तो किसी एक गांव में सीएम को स्थलीय निरीक्षण कराने के लिए उस गांव को भी चाक चैंबंद किया जा रहा है। ऐसे फर्जी आंकड़ों को लेकर सांसद सहित एकाध विधायक नाराज हैं। सांसद ने तो जिला प्रशासन के इस फर्जीवाड़े की शिकायत मुख्य सचिव तक से की है। वहीं मुख्यमंत्री के आगमन पर अपना दल एस सीधे उनसे शिकायत करने का मन बना लिया है।
अपना दल एस के युवा ईकाई के प्रदेश अध्यक्ष हेमंत चैधरी काफी मुखर हैं। उन्होंने जिला प्रशासन के रवैये पर नाराजगी जताते हुए कहा है कि सीएम को धोखा देने की तैयारी कर ली गई है। उनका कहना है कि जिले में तीन तीन आईएएस के होते हुए स्वच्छता अभियान मामले में जिले का नंबर 75 वां है। इसके इतर जिला प्रशासन के आला अफसर जनप्रतिनिधियों की नाराजगी की वजह उनके खतों का आधार बना रहा है। इसे साबित करने के लिए उनके खतों को सबूत के तौर इकट्ठा कर लिया है।
जनप्रतिनिधियों द्वारा मुख्यमंत्री के समक्ष जहां केंद्र तथा प्रदेश सरकार की योजनाओं की फिसड्डी का सीकरा जिला प्रशासन पर फोड़ा जाएगा वहीं जिला प्रशासन के अफसर नेताओं की नाराजगी की वजह खतों के जरिए उनकी सिफारिशों पर नियम विरूद्ध काम न करना बताने की कोशिश करेंगे। अब इसमें किसकी जीत होती है किसकी हार, यह देखने की बात होगी लेकिन इतना तय है कि आने वाले दिनों में जिले में प्रशासन और नेताओं में टकराव तय है।