दो दशक पहले हुर्इ थी यह घटना जिसमें न्याय के लिए भटक रहे पीड़ित करीब दो दशक पहले महराजगंज के पचरुखिया क्षेत्र के भिटौली कस्बे में 1999 में हुए सांप्रदायिक बवाल में तत्कालीन सपा नेत्री तलत अजीज के सरकारी गनर सत्य प्रकाश यादव की गोली लगने से मौत हो गई थी। मामला 10 फरवरी 1999 का है। भिटौली की एक जमीन को लेकर दो सम्प्रदाय के लोगों के बीच बवाल हुआ था। एक वर्ग विवादित जमीन को कब्रिस्तान बता रहा था तो दूसरा वर्ग तालाब। मामला बिगड़ा, दोनों पक्षों में फायरिंग व पथराव हुआ। इस विवाद में तत्कालीन सपा नेता तलत अजीज के सरकारी गनर सत्य प्रकाश यादव की गोली लगने से मौत हो गई। कई लोग जख्मी हुए थे। इस मामले में महराजगंज कोतवाली में तीन एफआईआर दर्ज हुए। तलत अजीज के एफआईआर में गोरखपुर के तत्कालीन सांसद योगी आदित्यनाथ के साथ कई लोग नामजद कराए गए। पुलिस ने भी अपनी एफआईआर में योगी आदित्यनाथ के खिलाफ केस दर्ज किया था।
दोनों पक्षों ने एक दूसरे के खिलाफ कराया था मामला दर्ज, योगी बोले थे मेरी हत्या की हुर्इ थी साजिश योगी आदित्यनाथ द्वारा दर्ज कराई गई एफआईआर में तलत अजीज और उनके समर्थकों के खिलाफ केस दर्ज कराया गया था।
योगी आदित्यनाथ की तहरीर में कहा गया था कि तलत अजीज ने उनकी हत्या के इरादे से फायरिंग कराई थी। घटना के वक्त यूपी में कल्याण सिंह सरकार थी। मामला तूल पकड़ा तो सीएम कल्याण सिंह ने तीनों केस मुकदमों की जांच सीबीसीआईडी को सौंप दी। करीब एक साल बाद सीबीसीआईडी ने 27 जून साल 2000 को तीनों मामलों में फाइनल रिपोर्ट लगा दी। सीबीसीआईडी ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि हजारों की भीड़ के बीच फायरिंग करने वाले की पहचान नहीं हो सकी। ऐसे में किसी को आरोपी बनाया जाना न्यायसंगत नहीं है। निचली अदालत ने तीनों मुकदमों में लगी फाइनल रिपोर्ट को मंजूर कर लिया। तलत अजीज ने फाइनल रिपोर्ट को 2006 में महराजगंज की सीजेएम कोर्ट में चुनौती दी। यहां करीब बारह साल तक केस चला। फिर सीजेएम ने तलत अजीज की अर्जी को खारिज कर दी। इसके बाद तलत अजीज ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की। हाईकोर्ट में केस विचाराधीन था। बाद में जनप्रतिनिधियों के स्पेशल कोर्ट में मामला चला गया। 16 जुलाई को न्यायालय ने इस मामले में निर्णय सुनाते हुए सीजेएम कोर्ट के निर्णय को सही मानते हुए याचिका खारिज कर दिया। अब इस मामले में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ कोई केस नहीं चलेगा।