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महाराजगंज

अनुप्रिया पटेल के करीबी UP के नेता ही भाजपा सांसद को हराने में जुटे, अभी से खोल दिया मोर्चा

2019 के पहले बीजेपी सांसद की मुश्किल बढ़ी, अब अपने भी कर रहे विपक्षियों जैसा व्यवहार।

महाराजगंजNov 11, 2018 / 02:12 pm

रफतउद्दीन फरीद

Anupriya Patel and Narendra Modi

अनुप्रिया पटेल नरेन्द्र मोदी

महराजगंज. डुमरियागंज के बीजेपी सांसद जगदंबिका पाल विरोधी दलों के ही नहीं अपनों के भी निशाने पर हैं। अभी तक भाजपा से जुड़े जिले के एक डाक्टर पाल के खिलाफ खुलकर सामने आए थे। स्वयं को भाजपा के कई वरिष्ठ नेताओं का करीबी बताकर कर वे डुमरियागंज संसदीय सीट से टिकट की दावेदारी भी पेश कर चुके हैं। अब भाजपा का सहयोगी दल अपनादल दल ने भी आंख दिखाना शुरू कर दिया है। जिले के विधान सभा सीट शोहरतगढ़ से अपनादल के विधायक भी हैं। साथ ही अपना दले के महत्वपूर्ण संगठन युवा मंच के प्रदेश अध्यक्ष भी इसी जिले से ताल्लुक रखते हैं। वे केंद्रिय मंत्री अनुप्रिया पटेल के करीबी भी हैं।
अपना दल ने भी पाल के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। पार्टी से संबद्ध युवा मंच के प्रदेश अध्यक्ष हेमंत चौधरी ने बाकायदा प्रेस को संबोधित करते हुए पाल पर गंभीर आरोप लगाते हुए उनपर जिले के पिछड़ापन का दोष मढ़ दिया। हेमंत चौधरी ने इस संसदीय सीट से लगातार दस साल तक सांसद रहे पाल को न केवल बाहरी करार दिया, जिले के विभिन्न विभागों के लिए नियुक्ति उनके प्रतिनिधियों को भी बाहरी बताते हुए सवाल किया कि जब जिले के कार्यकर्ताओं पर उन्हें भरोसा नहीं है तो ये कार्यकर्ता उनके लिए जान क्यों दें। कहा जिन ठेकेदारों से वे काम कराते हैं वे सब के सब बाहरी है। यह संसदीय इलाके की जनता का अपमान है जो उन्हें सांसद चुन रही है।
हेमंत चौधरी ने कहा सांसद के रूप में पाल की अकरमणयता के नाते सिद्धार्थ नगर जो पूर्व में पिछड़ा जिला था, अब अति पिछड़ा जिले की कतार में शामिल हो गया। कहा कि उनके पहले कार्यकाल में जब वे कांग्रेस के सांसद थे तब भी केंद्र में उनकी सरकार थी और आज तो केंद्र और प्रदेश में भी उनकी सरकार है। हैरानी है कि इस दौर में जब जिले को विकास की रफ्तार पकड़नी चाहिए तब जिला अति पिछड़े की कतार में है। जिले की खस्ताहाल सड़कों पर सवाल खड़ा करते हुए हेमंत चौधरी ने कहा कि ये सड़कें ही जिले के विकास की पोल खोल रही हैं।
पाल के खिलाफ अपने हों या सहयोगी दल, इनके विरोध के पीछे लोकसभा का टिकट है। 2019 के लोकसभा चुनाव में जहां पाल का विरोध कर पार्टी का ही एक धड़ा टिकट की चाहत में है वहीं घटकदल अपना दल भी टिकट के लिए दबाव बना रहा है। अब पाल का टिकट भले ही न कटे लेकिन इस चुनाव में उन्हें एक ओर अपने तो दूसरी ओर घटकदल के विरोध का सामना करना तय है। जहां तक अंतर्विरोध का सवाल है तो पाल इसके लिए अभ्यस्त है। 2009 में जब वे कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े थे तब भी उन्हें जिले के कांग्रेस नेताओं का विरोध झेलना पड़ा था और जब 2014 में भाजपा से मैदान में आए तो भी उन्हें भारी विरोध झेलना पड़ा था। इस चुनाव में तो टिकट के प्रबल दावेदार रहे मौजूदा आबकारी मंत्री जय प्रताप सिंह ने अपनी पत्नी रानी वसुंधरा को कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़वाया था।
By Yashoda Srivastava

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