बतादें कि ग्राम स्वच्छता समिति के खाते से उन्हें दस हजार रुपये में फॉगिंग मशीन खरीदकर गांव में दवा का छिड़काव कराना होगा। ऐसा न करने व गांव में डेंगू का मरीज मिलने पर ग्राम प्रधान के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। इलाज की जिम्मेदारी भी प्रधान की होगी। बतादें कि ग्राम स्वच्छता समिति के खाते में प्रति वर्ष शासन की ओर से 10 हजार रुपये भेजे जाते हैं। पर दवा का छिड़काव नहीं होता है। इसके कारण गांव में डेंगू व मलेरिया जैसी बीमारियां फैलती हैं। जिला मलेरिया अधिकारी से कहा गया है कि प्रधानों से उन्हे ऐसा करवाना ही होगा। शासन की ओर से कहा गया है कि मलेरिया, चिकनगुनिया, डेंगू जैसी बीमारियों के फैलने पर संबंधित गांव के प्रधान के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। इसके बाद भी मरीज मिलते है तो प्रधान मरीज के इलाज का खर्च उठाएंगे।
जो मरीज गांव में रहते हैं उन्ही के लिए जिम्मेदार होगा प्रधान मलेरिया अधिकारी ने इस बाबत बताया कि प्रधानों पर शिकंजा तब ही कसा जायेगा जब गांव में रहने वाले मरीजों को डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया आदि बीमारियां होती हैं। इसके इतर अगर गांव का कोई व्यक्ति मुबंई, दिल्ली, कोलकाता अथवा अन्य शहर में रहता हो या रिश्तेदारी में गया हो और वहां बीमार होने के बाद गांव आता है तो इसके लिए प्रधान को जिम्मेदार नहीं माना जाएगा। पीड़ित को इसकी सूचना विभाग को देनी होगी। हालांकि प्रशासन के इस निर्देश के बाद प्रधानों में पूरी तरह से खौफ देखा जा रहा है।