मामला महोबा के श्रीनगर थाना कस्बे का है जहां रहने वाली अनीता अहिरवार बीते 6 माह से लीवर की बीमारी से जूझ रही थी। परिवार के भरण पोषण के लिए अनीता पति के साथ देश की राजधानी दिल्ली में रहकर मजदूरी कर जीवन यापन करती थी। मगर कुछ माह से लगातार बीमार रहने के चलते उसका पति अनीता और चार मासूम बच्चों को गांव वापस छोड़ कर चला गया। पति मजदूरी का पैसा इकठ्ठा कर पत्नी के इलाज के तमाम प्रयास करता रहा मगर बीमारी से उभार नही सका। आखिरकार बीमारी से ग्रसित अनीता की आज मौत हो गयी। अनीता के घर की माली हालत के मद्देनजर पड़ोसियों ने मृतक अनीता के अंतिम संस्कार को लेकर एकजुट होकर रुपये पैसों का चंदा किया। जिसने आज जिला प्रशासन के सिस्टम सहित गरीबों की मदद के तमाम योजनाओं की पोल खोल दी है। पड़ोसी बताते हैं कि अनीता के घर में आर्थिक तंगी है और परिवार मुफलिसी झेल रहा था। घर में बमुश्किल एक वक्त का चला जल पाता था। मृतिका के मासूम बच्चे बताते हैं कि कभी कभी उन्हें पड़ोसियों से खाना मांगकर पेट भरना पड़ता था। सरकार की तमाम योजना इन गरीबों के लिए चलाई जा रही है मगर इनकी जमीनी हकीकत ये है कि एक दलित महिला की भुखमरी और गरीबी के चलते मौत हो गई।
इलाज के आभाव में मौत होने की जानकारी होते हुए डीएम सहदेव बताते हैं कि महोबा के श्रीनगर थाना के बांस पहाड़ी मुहल्ले में रहने वाली अनिता अहिरवार की बीमारी के चलते मौत हो गयी है। महिला को शासन प्रशासन की किन किन योजनाओं का लाभ दिया जा रहा था साथ ही मौजूदा स्थिति के आंकलन को लेकर महोबा सदर तहसील के एसडीएम ,कानूनगो ओर लेखपाल की टीम को गांव में रवाना किया गया है । मामले की जांच की जा रही है । परिवार की हर मदद की जाएगी ।