खेत में फसल बोना ही बंद कर दी है
बताते चलें कि इन दिनों बुंदेलखंड सहित समूचा महोबा जनपद अन्ना पशुओं के कारण त्राहि-त्राहि कर रहा है। क्षेत्र के ग्रामीण इलाकों में सबल किसानों ने अपने खेत की तार बारी कर ली है तो उसकी फसल कुछ हद तक सुरक्षित रह जाती है। और जो निर्बल वर्ग कृषक है वह तार बारी के अभाव में रात-रात भर जाग कर अन्ना पशुओं से संघर्ष करते देखे जा सकते है जिले के अधिकांश गांवों में अन्ना पशुओं के भय के कारण किसानों द्वारा खेत में फसल बोना ही बंद कर दी है।
बताते चलें कि इन दिनों बुंदेलखंड सहित समूचा महोबा जनपद अन्ना पशुओं के कारण त्राहि-त्राहि कर रहा है। क्षेत्र के ग्रामीण इलाकों में सबल किसानों ने अपने खेत की तार बारी कर ली है तो उसकी फसल कुछ हद तक सुरक्षित रह जाती है। और जो निर्बल वर्ग कृषक है वह तार बारी के अभाव में रात-रात भर जाग कर अन्ना पशुओं से संघर्ष करते देखे जा सकते है जिले के अधिकांश गांवों में अन्ना पशुओं के भय के कारण किसानों द्वारा खेत में फसल बोना ही बंद कर दी है।
कोई कार्यवाही नहीं हुई
ग्राम करहरा कला निवासी ग्रामीण मान सिंह ने कहा कि एक तो वह प्राकृतिक आपदा से पीडि़त हैं दूसरी ओर अन्ना पशुओं ने खेती करना दूभर कर दिया है। अन्ना पशुओं के रोकथाम न होने के कारण वह अपने खेतों को खाली छोडऩे के लिए विवश हैं। कई बार इस समस्या की ओर जिलाप्रशासन का ध्यान आकर्षित कराया गया परंतु कोई कार्यवाही नहीं हुई।
ग्राम करहरा कला निवासी ग्रामीण मान सिंह ने कहा कि एक तो वह प्राकृतिक आपदा से पीडि़त हैं दूसरी ओर अन्ना पशुओं ने खेती करना दूभर कर दिया है। अन्ना पशुओं के रोकथाम न होने के कारण वह अपने खेतों को खाली छोडऩे के लिए विवश हैं। कई बार इस समस्या की ओर जिलाप्रशासन का ध्यान आकर्षित कराया गया परंतु कोई कार्यवाही नहीं हुई।
किसी दैवीय आपदा से कम नहीं है
वहीं दूसरी ओर ग्राम बरा निवासी भगवानदास का कहना है कि अन्ना का प्रकोप उनके ऊपर किसी दैवीय आपदा से कम नहीं है। अन्ना पशु एक गांव से दूसरे गांव होते हुए सैकड़ों के संख्या में आते है और जिस खेत मे घुस पाते है पूरे खेत को रौंद डालते है। अन्ना पशुओं की विकराल होती समस्या पर बुंदेलखंड किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष विमल शर्मा ने प्रदेश सरकार तथा जिला प्रबंधन पर कृषकों के साथ अन्ना पशुओं के मुद्दे पर सौतेला व्यवहार करने का आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार अन्ना पशुओं की आड़ में यहाँ के कृषकों को खेती से विरक्त करना चाह रही है। यदि अन्ना पशुओं की समस्या से कृषक निजात पा जाएंगे तो वह कौडिय़ों के दाम अपनी भूमि को कैसे बेचेंगे।
वह अभी तक नहीं खुल सकी है
अन्ना पशुओं की समस्या पर सरकार संजीदा नहीं है। अन्ना पशु दिन प्रतिदिन अपनी संख्या में इजाफा कर रहे हैं। एक अन्ना पशु मुंह और पैरों से पांच गुना किसानों की फसल का नुकसान करने की क्षमता रखता है। यदि एक दिन में सौ अन्ना पशु घुस जाएं तो अंदाजा लगाया जा सकता है कि उस खेत की क्या हालत होती होगी। उन्होंने कहा कि महोबा जिला प्रशासन अभी तक अन्ना पशुओं की रोकथाम के लिए कोई सार्थक पहल करता दिखाई नहीं दे रहा है। जितनी संख्या में गौशालाएं खोली जानी चाहिए थी वह अभी तक नहीं खुल सकी है, इसके अलावा अन्ना पशुओं की संख्या में बढ़ोतरी न हो सके इसके लिए भी बधियाकरण अभियान नहीं चलाया गया है।
वहीं दूसरी ओर ग्राम बरा निवासी भगवानदास का कहना है कि अन्ना का प्रकोप उनके ऊपर किसी दैवीय आपदा से कम नहीं है। अन्ना पशु एक गांव से दूसरे गांव होते हुए सैकड़ों के संख्या में आते है और जिस खेत मे घुस पाते है पूरे खेत को रौंद डालते है। अन्ना पशुओं की विकराल होती समस्या पर बुंदेलखंड किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष विमल शर्मा ने प्रदेश सरकार तथा जिला प्रबंधन पर कृषकों के साथ अन्ना पशुओं के मुद्दे पर सौतेला व्यवहार करने का आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार अन्ना पशुओं की आड़ में यहाँ के कृषकों को खेती से विरक्त करना चाह रही है। यदि अन्ना पशुओं की समस्या से कृषक निजात पा जाएंगे तो वह कौडिय़ों के दाम अपनी भूमि को कैसे बेचेंगे।
वह अभी तक नहीं खुल सकी है
अन्ना पशुओं की समस्या पर सरकार संजीदा नहीं है। अन्ना पशु दिन प्रतिदिन अपनी संख्या में इजाफा कर रहे हैं। एक अन्ना पशु मुंह और पैरों से पांच गुना किसानों की फसल का नुकसान करने की क्षमता रखता है। यदि एक दिन में सौ अन्ना पशु घुस जाएं तो अंदाजा लगाया जा सकता है कि उस खेत की क्या हालत होती होगी। उन्होंने कहा कि महोबा जिला प्रशासन अभी तक अन्ना पशुओं की रोकथाम के लिए कोई सार्थक पहल करता दिखाई नहीं दे रहा है। जितनी संख्या में गौशालाएं खोली जानी चाहिए थी वह अभी तक नहीं खुल सकी है, इसके अलावा अन्ना पशुओं की संख्या में बढ़ोतरी न हो सके इसके लिए भी बधियाकरण अभियान नहीं चलाया गया है।