इन वाहनों में क्षमता से अधिक बच्चों को ढोया जा रहा है। वहीं ऑटो रिक्शा में सुरक्षा के लिए जाली भी नहीं लगी है। वाहनों में न ही स्कूल ड्यूटी लिखा है और न ही कलर पीला किया गया है। जानकारी के मुताबिक पालक अपने बच्चों को घर से स्कूल लाने ले जाने के लिए ऑटो या वैन बुक करते हैं। मुनाफे के लालच में इनमें अधिक बच्चों को बिठाया जाता है। इसके बाद ऑटो व वैन में बैग रखने की भी जगह नहीं बचती।
स्कूल वाहनों में बसों की तो जांच समय-समय पर की जाती है, लेकिन ऑटो रिक्शा और वैन चालक अब तक इस दायरे में नहीं आए हैं। कई मिनी वैन बच्चों को सीधे घर नहीं ले जाती हैं, अन्य स्कूलों में जाकर लंबे समय तक विद्यार्थियों को बैठाए रखते हैं। फिर स्कूल की छुट्टी होने के बाद ही घर पहुंचाया जाता है, जिससे पालक भी अनजान रहते हैं।
लापरवाही पर मूंदी आंखें सबक नहीं ले रहे पालक
केंद्रीय विद्यालय व अन्य निजी स्कूलों के सामने छुट्टी होते ही ऑटो व वैन तेज रफ्तार से परिसर में आते हैं। वहीं बच्चे भी दौड़ते भागते रहते हैं। इससे भी दुर्घटना की आशंका बनी रहती है, लेकिन इस तरह की लापरवाही से किसी को कोई लेना-देना नहीं है।