रेस्को मॉडल के तहत सोलर पेनल स्थापित किए जाएंगे। एक किलोवॉट व एक मेगावाट क्षमता के ग्रिड कनेक्टेट सौर संयंत्र स्थापित किया जाएगा। इसके तहत हितग्राही उत्पादित बिजली का उपयोग स्वयं भी करेगा और बेच भी सकेगा। दरअसल, सोलर के क्षेत्र में आम उपभोक्ता ज्यादा रुचि नहीं दिखाते हैं, इसलिए यह नई योजना बनाई गई है। क्रेडा अफसरों के मुताबिक नई योजना के तहत पहले चरण में शासकीय भवनों का चयन किया जाएगा। यह रेस्को मॉडल के तहत होगा। हितग्राही, संस्था व विभाग को पहले कोई खर्च नहीं करना पड़ेगा। सौर संयत्र स्थापित किए जाने के बाद संस्था के साथ विद्युत बेचने संबंधी अनुबंध होगा।
विद्युत कंपनी विद्युत उत्पादन की राशि संस्था से वसूलकर स्थापना में हुए खर्च का भुगतान करेगी। जानकारी के मुताबिक इस योजना का लाभ लेने के लिए सबसे पहले एक पोर्टल में आवेदन करना पड़ेगा। सात दिनों के बाद तकनीकी मंजूरी दी जाएगी। फिर स्थल का परीक्षण किया जाएगा। इसके बाद ही सोलर पेनल की स्थापना की जा सकेगी। के्रडा की इस योजना से बिजली की बचत भी होगी। इधर, शासकीय भवनों में इस योजना की सफलता के बाद ही व्यावसायिक संस्था व हितग्राहियों को लाभ दिया जाएगा। यही नहीं, योजना की सफलता से पावर प्लांटों पर निर्भरता कम होगी। वर्तमान में जिले में किसी शासकीय भवनों का चयन नहीं किया गया है। इसकी तैयारी अभी चल रही है।
क्रेडा अधिकारी महासमुंद एनके गायकवाड़ ने बताया कि मोर छत, मोर बिजली के तहत शासकीय भवनों में सोलर पैनल लगाने की तैयारी चल रही है। अभी यह प्रक्रिया में है। यह रेस्को मॉडल पर आधारित होगा।