आदिवासी विभाग से मिली जानकारी के अनुसार जिले में करीब 113 प्री व पोस्ट मैट्रिक छात्रावास हैं। इसमें से करीब एक दर्जन से अधिक छात्रावास की छत से पानी टपकता है। सीपेज की भी समस्या है। कई बार छात्रावास में रहने वाले बच्चों के बिस्तर भीग जाते हैं। उन्हें पढऩे और सोने भी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। लगातार बारिश होने पर बच्चों की मुसीबत और बढ़ जाती है। वहीं कई छात्रावासों के खिडक़ी व दरवाजे भी टूट गए हैं। इस कारण बारिश का पानी सीधे खिडक़ी रास्ते कमरों में घुस जाता है।
इधर, आदिवासी विकास विभाग के सहायक आयुक्त एनआर देवांगन ने बताया कि जर्जर भवन की मरम्मत के लिए शासन को सूची बनाकर भेज दिया है। जैसे ही राशि का आवंटन होगा, जर्जर भवनों की मरम्मत कराई जाएगी। इसी के साथ अतिरिक्त भवन निर्माण के लिए भी प्रस्ताव बनाकर शासन को भेजा गया है। वर्तमान में चार नए भवन का निर्माण कराया जा रहा है। सहायक आयुक्त ने बताया कि जिले में संचालित 113 छात्रावासों को प्रतिवर्ष विभाग द्वारा 25 व 50 हजार रुपए खर्च के लिए दिए जाते हैं। 100 सीटर छात्रावास को 25 हजार व 200 को 50 हजार रुपए के अलावा अलग से तीन-तीन हजार रुपए अतिरिक्त आवंटित किए जाते है, ताकि छुटपुट कार्य हो सके और छात्र-छात्राओं को परेशानी न हो।
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