दरअसल, जुलाई-अगस्त महीने में कॉसमॉस टैबलेट में अश्लील तस्वीर वायरल होने और तकनीकी खराबी आने के कारण शिक्षक परेशान हो गए। जैसे ही इसकी खबर शिक्षा विभाग को मिली, अफसरों ने आनन-फानन में स्कूलों से टैबलेट मंगवा लिए। चिप्स के कर्मचारियों ने कॉसमॉस टैबलेट को अपग्रेड किया। इसके बाद स्कूलों को वितरण कर दिया गया। जब शिक्षकों ने उपस्थिति दर्ज करने के लिए टैबलेट को ऑन किया, तो बच्चों के नाम नहीं दिखे। तब इसकी जानकारी अपने उच्चाधिकारियों को दी।
वर्तमान में टैबलेट में बच्चों की उपस्थिति दर्ज नहीं हो रही है। शिक्षा विभाग के जिम्मेदारों का कहना है कि चिप्स के कर्मचारियों ने कॉसमॉस टैबलेट को अपग्रेड किया था। नए एप्लीकेशन इंस्टाल किए गए थे। एप्लीकेशन को शिक्षक समझ नहीं पा रहे हैं। ऐसे में जरूर समस्या आ रही होगी। शिक्षकों का कहना है कि अपग्रेड करने के चक्कर टैबलेट से स्कूली बच्चों के रिकार्ड उड़ गए हैं। ज्ञात हो कि चार महीने पहले छत्तीसगढ़ ऑनलाइन स्कूल मॉनिटरिंग सिस्टम योजना के तहत स्कूलों को 1939 कॉसमॉस टैबलेट का वितरण किया गया था। बंटते ही दिक्कतें शुरू हो गईं। कई फंग्सन सही तरीके से काम नहीं कर रहे थे। चार्जिंग की समस्या पहले से ही बरकरार है। ऐसे में टैबलेट की क्वालिटी पर भी सवाल उठना लाजिमी है।