मतदान के दौरान हाथी प्रभावित गांवों में हाथियों की चहल-पहल होती है, तो मतदान का प्रतिशत प्रभावित हो सकता है। वर्तमान में कब हाथी किस गांव में धमक जाए, कहा नहीं जा सकता। लहंगर गांव ऐसा है, जहां दिन में भी हाथी निकल आते हैं। हाथी भगाओ फसल बचाओ समिति के संयोजक राधेलाल सिन्हा का कहना है कि विशेष गस्ती दल बनाया जाए, जो मतदान के दिन पूरी तरह से क्षेत्र की निगरानी करे।
हालांकि, हाथी प्रभावित अधिकतर गांवों में मतदान केंद्र बनाया गया है, मतदान करने में किसानों को कोई दिक्कत नहीं होगी। गौरतलब है कि पिछले कुछ महीनों से जिले में हाथियों का विचरण ज्यादा हो रहा है। अब तक इस वर्ष 3 लोग जान गंवा चुके हैं। कई घायल हुए हैं। सिरपुर, अरंड, बडग़ांव, बरबसपुर, अछरीडीह, नयापारा, बोरिद, पासिद, तुरतुरिया, मालीडीह, बिरबिरा आदि गांवों में हाथी धमकते हैं। अभी रायतुम के तालाझर में हाथी विचरण कर रहे हैं। वहीं हाथियों के हमले से होने वाली जनहानि को रोकने अब तक कोई सार्थक पहल नहीं की गई है।
लोकेशन पर ही नजर
मतदान दलों की सुरक्षा के लिए हाथियों के लोकेशन पर ही नजर रखी जा रही है। वहीं हाथी अचानक आ धमके तो, वन विभाग के पास पहले से कोई ठोस प्लान तैयार नहीं है। लोगों को जागरूक किया जा रहा है कि हाथियों से दूर रहें।
फसलों को नुकसान
गौरतलब है कि महासमुंद जिला हाथियों का विचरण क्षेत्र बन गया है। हाथी लगातार फसलों को नुकसान पहुंचा रहे हैं। लगातार शिकायतों के बाद भी हाथियों को खदेडऩे में अब तक सफल नहीं हो रहा है।
टीम की होगी तैनाती
महासमुंद के डीएफओ आलोक तिवारी ने बताया कि हाथियों के लोकेशन पर नजर रखी जा रही है। रेडियोकॉलर भी लगाए गए हैं। यदि हाथी मतदान के दिन विचरण कर रहे होंगे, तो इसकी सूचना दी जाएगी। लोगों को सतर्क रखने के लिए टीम तैनात की जाएगी।