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योगी सरकार की नीतियों से प्रदेश को 15 हजार करोड़ का नुकसान, यहां जानें पूरी रिपोर्ट

locationलखनऊPublished: Sep 20, 2018 03:24:24 pm

Submitted by:

Mahendra Pratap

योगी सरकार की मंजूरी न मिलने से 50 हजार नौकरियां भी अटकीं

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लखनऊ. उत्तर प्रदेश सरकार सूबे में उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए बड़ी मेहनत कर रही है। अब तक दो बड़ी औद्योगिक समिति हो चुकी हैं। करोड़ों की इकाइयों के लगाने के प्रस्ताव मिल चुके हैं। लेकिन इन गतिविधियों के बीच यह खबर भी है कि योगी आदित्यनाथ सरकार की वजह से प्रदेश के मांस उद्योग की सांसे उखडऩे लगी हैं। सरकार के पास प्रदेश में 15 हजार करोड़ के मीट प्रोसेसिंग इंडस्ट्री के 18 प्रस्ताव लंबित पड़े हैं। मांस प्रस्संकरण उद्योग से जुड़े लोगों का कहना है कि इस प्रस्ताव के मंजूरी मिलने से न केवल प्रदेश की आय में बढ़ोतरी होगी बल्कि सूबे 50 हजार बेरोजगारों को नौकरी भी मिलती।

शहरी विकास विभाग के सूत्रों के मुताबिक उप्र के विभिन्न हिस्सों में आधुनिक मांस प्रसंस्करण इकाई लगाने के लिए कुल 18 प्रस्ताव लंबित हैं। इनमें से आठ प्रस्ताव अखिलेश सरकार के दौरान के हैं। जबकि 10 प्रस्ताव विभाग को मार्च 2017 के बाद मिले हैं। नगर विकास विभाग के प्रमुख सचिव मनोज कुमार सिंह के मुताबिक पिछले एक साल में सूबे में एक भी नए बूचडख़ाने और मीट प्रोसेंसिंग यूनिट को मंजूरी नहीं दी गयी है।

50 हजार हुए बेरोजगार

मार्च 2017 के पहले उत्तर प्रदेश पिंक रिवोल्युशन यानी मांस निर्यात में देश में सबसे अग्रणी राज्य था। 2016 में कुल मांस निर्यात में से 70 प्रतिशत के लगभग हिस्सा उप्र से ही था। लेकिन, योगी सरकार के गठन के बाद उप्र के सभी अवैध बूचडख़ानों के बंद होने और उप्र में गाय-बैल व भैंस के काटने पर पाबंदी के बाद यह व्यवसाया बुरी तरह प्रभावित हुआ है। इससे कम से कम 50 हजार लोग साीधे तौर पर बेरोजगार हुए हैं।

उप्र में 38 बूचडख़ानें, इनमें 4 सरकारी

बूचडख़ाना चलाने के लिए उप्र प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड इजाजत देता है। जिलाधिकारी के नेतृत्व में एक पैनल यूनिट का निरीक्षण करती है। इस एनओसी को एपीईडीए के पास भेजा जाता है। अंतत: केंद्र सरकार बूचडख़ाने को लाइसेंस देती है। उप्र में देश के कुल 72 बूचडख़ाने हैं। इनमें से अकेले 38 उप्र में हैं। इसमें से 4 बूचडख़ानों को उप्र सरकार खुद चलाती है। यह आगरा, सहारनपुर में हैं। दो अन्य लखनऊ और बरेली में हैं जो अभी प्रोसेस में हैं।

उप्र सरकार को 11350 करोड़ का नुकसान

माना जाता है कि योगी सरकार के पहले उप्र में 140 से अधिक अवैध बड़े बूचडख़ाने चल रहे थे। इसके साथ ही 50 हजार अवैध मीट की दुकानें भी चलती थीं। तब एपीईडीए के आंकड़ों के अनुसार उप्र में सबसे अधिक 19.1 फीसदी मांस निर्यात करता था। ऑल इंडिया मीट एंड लिवस्टॉक एक्सपोर्टर के आंकड़ों के अनुसार प्रतिबंध लगने के बाद उप्र को करीब 11,350 करोड़ रुपए का नुकसान उठाना पड़ रहा है। 2015-16 में उप्र ने कुल 564958.20 मीट्रिक टन भैंस का मांस निर्यात किया था। देश भर से करीब 4 अरब डॉलर के भैंस के मांस का निर्यात किया जाता है, जिनमें उत्तर प्रदेश की हिस्सेदारी करीब 50 फीसदी है। यहां से वियतनाम, मलेशिया और सऊदी अरब में बड़े पैमाने पर भैंसे के मांस का निर्यात होता है।

क्या है नगर निगम का दायित्व

यूपी नगर निगम के एक्ट 1959 के अनुसार प्रत्येक नगर निगम की यह जिम्मेदारी है कि लोगों को बेहतर मांस प्राप्त हो। नगर निगम बूचडख़ानों की कार्यप्रणाली पर नजर रखता है। साथ ही निगमों की यह भी जिम्मेदारी है कि वह प्राइवेट बूचडख़ानों में पशुओं की बिक्री पर भी नजर रखे।

यह हैं बड़े मीट एक्सपोट्र्स

उप्र के बड़े मीट एक्सपोटर्स में अल नूर एक्सपोट्र्स प्रमुख है। इसके मालिक सुनील सूद हैं। बूचडख़ाना और मांस प्रसंस्करण संयंत्र मुजफ्फऱऩगर के शेरनगर गांव में है। कंपनी 35 देशों को बीफ़ निर्यात करती है। इसके बाद एओवी एक्सपोट्र्स प्राइवेट लिमिटेड बड़ी कंपनी है। इसका बूचडख़ाना उन्नाव में है। इसके निदेशक ओपी अरोड़ा हैं। यह मुख्य रूप से बीफ़ निर्यात करती है। स्टैंडर्ड फ्ऱोजऩ फ़ूड्स एक्सपोट्र्स प्राइवेट लिमिटेड के प्रबंध निदेशक कमल वर्मा हैं। इसका बूचडख़ाना और सयंत्र उन्नाव के चांदपुर गांव में है। हिंद ग्रुप के चेयरमैन सिराजुद्दीन कुरैशी हैं। कानुपर की रुस्तम फूड्स भी बड़े आपूर्तिकर्ताओं में शामिल है। इसके मालिक सलीम कुरैशी हैं।

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