अगर रालोद सहयोगी है तो उसे कौन-कौन से दो सीटें दी जाएंगी। कैरान वर्तमान में रालोद के पास है। यहां से लोकसभा उप चुनाव में रालोद की उम्मीदवार ने जीत दर्ज किया था। अब अगर गठबंधन रालोद को दो सीटें देता है तो क्या रालोद इस पर राजी होगा। बतादें कि रालोद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अजीत सिंह कई बार के सांसद रहे हैं। वह जाटों के बड़े नेता हैं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कई लोकसभा सीटों पर जाटों वोटों का खासा प्रभाव है। बागपत, मेरठ, सहारनपुर, कैराना, मथुरा, आगरा सहित कई ऐसी सीटें हैं जहां जाट वोटर निर्मायक भूमिका में हैं तो क्या ऐसे में अजीत सिंह केवल दो सीटों पर संतोष कर लेंगे।
बागपत से कई बार सांसद रहे हैं अजीत सिंह
रालोद अध्यक्ष अजीत सिंह कई बार लोकसभा के सांसद रहे हैं। वे बागपत से कई बार सांसद रह चुके हैं। 2014 के मोदी लहर में वे बागपत से सत्यपाल मलिक से चुनाव हार गए। वहीं उनके बेटे जयंत चौधरी मथुरा से सांसद रह चुके हैं। अभी मथुरा से हेमामालिनी भाजपा से सांसद हैं। वहीं हुकुम सिंह के निधन से खाली हुई कैराना की सीट पर हुए उप चुनाव में रालोद की प्रत्याशी ने यहां से जीत दर्ज की थी।
रालोद अध्यक्ष अजीत सिंह कई बार लोकसभा के सांसद रहे हैं। वे बागपत से कई बार सांसद रह चुके हैं। 2014 के मोदी लहर में वे बागपत से सत्यपाल मलिक से चुनाव हार गए। वहीं उनके बेटे जयंत चौधरी मथुरा से सांसद रह चुके हैं। अभी मथुरा से हेमामालिनी भाजपा से सांसद हैं। वहीं हुकुम सिंह के निधन से खाली हुई कैराना की सीट पर हुए उप चुनाव में रालोद की प्रत्याशी ने यहां से जीत दर्ज की थी।
…तो क्या बाप-बेटे के लिए ही छोड़ा गई दो सीटें
गठबंधन ने दो सीटें अगर रालोद के लिए छोड़ा है तो क्या वह दो सीटें अजीत सिंह और उनके बेटे के लिए छोड़ी गई हैं तो कैराना सीट का क्या होगा जहां से रालोद की सांसद हैं। अब यह क्या अजीत सिंह दो सीटों पर ही मान जाएंगे। यह कहना मुश्किल है।
गठबंधन ने दो सीटें अगर रालोद के लिए छोड़ा है तो क्या वह दो सीटें अजीत सिंह और उनके बेटे के लिए छोड़ी गई हैं तो कैराना सीट का क्या होगा जहां से रालोद की सांसद हैं। अब यह क्या अजीत सिंह दो सीटों पर ही मान जाएंगे। यह कहना मुश्किल है।