scriptमुलायम सिंह ने यूं ही नहीं की थी पीएम मोदी की तारीफ, नेता जी के जाल में फंस गई पूरी बीजेपी! | why mulayam singh yadav is famous for charkha daav | Patrika News

मुलायम सिंह ने यूं ही नहीं की थी पीएम मोदी की तारीफ, नेता जी के जाल में फंस गई पूरी बीजेपी!

locationलखनऊPublished: Feb 21, 2019 05:56:38 pm

Submitted by:

Hariom Dwivedi

सपा के संस्थापक रहे मुलायम सिंह यादव की राजनीतिक चतुराई या अबूझ पहेली?

mulayam singh yadav

मुलायम ने ऐसे ही नहीं की थी मोदी की तारीफ, नेताजी के जला में फंस गई पूरी बीजेपी!

महेंद्र प्रताप सिंह

लखनऊ. चुनावी महाभारत का शंखनाद हो इसके पहले नेताजी यानी मुलायम सिंह यादव ने पटाखा छोड़ दिया। आवाज हुई। धुंआ उठा और एक अबूझ पहेली फिजां में तैर गयी। भाजपा, सपा-बसपा और कांग्रेस सभी इस पहेली के निहितार्थ समझने में लगे हैं। भाजपाई खुश हैं। सडक़ों पर नेताजी को धन्यवाद देतीं होर्डिंग्स लग गयी हैं। सपाई चुप हैं। कांग्रेस और बसपा की तरफ से अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आयी है।
नेताजी की यह पुरानी आदत है। वह जब-तब ऐसा कुछ बोल देते हैं, कर देते हैं कि सुर्खियां बटोर लेते हैं। 16 वीं लोकसभा में आखिरी दिन भी सदन में यही हुआ। जाते-जाते नेता जी ने महफिल लूट ली। उन्होंने इतना ही तो कहा था- जितने सदस्य इस बार जीत कर आए हैं, वे दोबारा जीत कर आएं और मोदी जी दोबारा प्रधानमंत्री बनें। इसमें क्या बुरा था। आखिर किसी भी कार्यक्रम के विदाई मौके पर अच्छा ही अच्छा बोला जाता है। नेताजी के बयान के पीछे शायद यही मंशा हो। लेकिन, लोगों को तो बात का बतंगड़ बनाना ही था। वे जुट गए। हालत यह है हर जगह नेताजी के ही बयान की चर्चा है। चाय की दुकान, आफिस, पार्टियों के कार्यालयों में और राजनीतिक चक्कलस के गलियारों में नेताजी, अखिलेश यादव और पीएम मोदी की बात हो रही है। लेकिन, खांटी समाजवादियों को पता है नेताजी कोई बात ऐसे ही नहीं बोलते।
यह लिखा है पोस्टर में
लखनऊ के हजरतगंज इलाके में ख़ास तौर पर पोस्टर लगे हैं। इसमें लिखा है, मुलायम सिंह जी का धन्यवाद, आपने लोक सभा में 125 करोड़ देशवासियों के मन की बात कही।
mulayam singh yadav
राजनीतिक बयानों की लंबी लिस्ट
मुलायम सिंह यादव बिना लाग-लपेट के अपनी बात कहने और राजनीतिक चतुराई के लिए जाने जाते हैं। उनकी दोस्ती किसी के साथ स्थायी नहीं रही। जब भी किसी से फायदा दिखा उसके साथ हो लिए। चौधरी चरण सिंह, चौधरी देवीलाल, वीपी सिंह, चंद्रशेखर, लालू प्रसाद यादव, राजीव गांधी, वामपंथी दल, कांशीराम, सोनिया गांधी और न जाने कितने नाम। किसी के साथ गठबंधन, किसी का समर्थन और फिर राजनीतिक पलटी। ऐन मौक़े पर हाथ झटका और बेफिक्री से आगे बढ़ गए। क्या बोले, अर्थ तलाशने वाले गुणा-भाग करते रहे वे अपने मिशन में लगे रहे। नेता प्रतिपक्ष बने, मुख्यमंत्री बने, रक्षामंत्री बने और राजनीतिक परिदृश्य में समाजवादी पार्टी के मजबूत क्षत्रप बनकर उभरे।
कहा कुछ किया कुछ
मुलायम उन नेताओं में शुमार रहे हैं जो कहते थे कुछ थे और करते कुछ थे। राष्ट्रपति चुनाव में उन्होंने अपने गठबंधन की उम्मीदवार कैप्टन लक्ष्मी सहगल का साथ छोड़ते हुए एपीजे अब्दुल कलाम को जिता दिया। इसके बाद हुए राष्ट्रपति के चुनाव में प्रणब मुखर्जी का विरोध किया बाद में पलटी मारी और फिर प्रणब मुखर्जी के समर्थन में आ गए। 2015 में बिहार में राजद-जदयू-कांग्रेस के साथ महागठबंधन बनाया। महागठबंधन के नेता बने और फिर पीछे हट गए। चरखा दांव में माहिर मुलायम कब कौन चाल चल दें नहीं मालूम।
Mulayam
अखिलेश को किया पावर ट्रांसफर
सार्वजनिक मंचों से जब-तब बेटे अखिलेश यादव को फटकार लगाने वाले नेता जी ने जब वक्त आया तब बड़ी ही चतुराई से समाजवादी पार्टी की बागडोर बेटे अखिलेश को सौंप दी। छोटे भाई शिवपाल यादव को यादव तक को भी हवा नही चल पायी कि पावर ट्रांसफऱ के इस खेल में नेताजी आखिर किसके साथ हैं।
अटकलें लगाइए शिवपाल या अखिलेश के साथ
अब जब अखिलेश यादव और शिवपाल यादव की राहें जुदा हो चुकीं हैं तब भी किसी को नहीं पता कि मुलायम सिंह किसके साथ हैं। वे एक ही साथ दोनों की पार्टियों को जिताने का आह्वान करते हैं। भाई और बेटे दोनों को आशीर्वाद देते हैं। नेता और जनता दोनों कन्फूज हैं कि आखिर नेताजी चाहते क्या हैं।
वीडियो में देखें- मुलायम सिंह यादव को समझना इतना भी आसान नहीं है…

समझने वाले को इशारा ही काफी
समझने वाले सब समझते हैं। जो व्यक्ति देश के सबसे बड़े राज्य का तीन बार मुख्यमंत्री रहा हो। चौथी बार अपने बेटे को मुख्यमंत्री बनवाया हो। और बुढ़ापे में खुद की बनायी पार्टी का वारिसाना हक आराम से बेटे को ट्रांसफऱ कर दे वह व्यक्ति न तो कभी हल्की बयानबाजी करेगा और न ही राजनीति के कमजोर मोहरे चलेगा। इस बार भी नेताजी के बयान के तमाम निहितार्थ हैं। सब अपने हिसाब से इसका आंकलन कर रहे हैं।
बहरहाल, राजनीतिक पंडित तो यही कह रहे हैं जिस मोदी सरकार में लालू यादव और मायावती से लेकर रार्बट वाड्रा तक सीबीआई के जाल उलझे हैं उस दौर में आय से अधिक संपत्ति जैसे कई मामलों में फंसे नेताजी और उनका भरा-पूरा राजनीतिक कुनबा आराम से राजनीतिक सीढिय़ां चढ़ता जा रहा है। क्या यह कम है। ऐसे में 16 वीं संसद के जाते-जाते उसकी सरकार के मुखिया और संसद के सदस्यों के लिए तारीफ के चंद शब्द न बोलना कृतज्ञनता ही होगी? बात सिर्फ इतनी है नेताजी सब समझते हैं। भोली-भाली जनता नेता जी को नहीं समझती।
mulayam singh yadav

ट्रेंडिंग वीडियो