अयोध्या शहर में पहले से ही शराब और मीट पर प्रतिबंध था, लेकिन साधु-संत अब पूरे अयोध्या जिले में इस प्रतिबंध को लागू करने की मांग कर रहे हैं। संतों का कहना है कि जिले में शराब और मीट की बिक्री भगवान राम का अपमान है। राम जन्मभूमि के पुजारी स्वामी सत्येंद्र दास के नेतृत्व में संतों ने यह मांग रखी है। संतों के मुताबिक, मीट और शराब के सेवन से हिंसा को बढ़ावा मिलता है, जो कि राम की नगरी में ठीक नहीं है। अयोध्या के संतों की मांग के बाद सरकार ने इस मांग को लेकर विधि विभाग से फैसले पर विचार करने की मांग की है।
विहिप की मांग- वाराणसी और चित्रकूट में भी हो मीट बैन
संतों की मांग को विश्व हिंदू परिषद का समर्थन मिला है। विश्व हिंदू परिषद के प्रवक्ता शरद शर्मा ने कहा है कि वह इस फैसले का स्वागत करते हैं। मीट और शराब की बिक्री पर प्रतिबन्ध एक अच्छी योजना है। अयोध्या एक धार्मिक नगरी है और धार्मिक नगरी में शराब व मीट की बिक्री से संत परेशान हैं। उन्होंने शराब और कबाब पर यह बैन न सिर्फ अयोध्या में बल्कि वाराणसी और चित्रकूट जैसी धार्मिक नगरी में भी होना चाहिए। हालांकि, इससे पहले जून 2018 में योगी सरकार मथुरा के गोकुल, गोवर्धन, बलदेव, नन्दगांव और राधा कुंड में शराब पर बैन लगा चुकी है।
संतों की मांग को विश्व हिंदू परिषद का समर्थन मिला है। विश्व हिंदू परिषद के प्रवक्ता शरद शर्मा ने कहा है कि वह इस फैसले का स्वागत करते हैं। मीट और शराब की बिक्री पर प्रतिबन्ध एक अच्छी योजना है। अयोध्या एक धार्मिक नगरी है और धार्मिक नगरी में शराब व मीट की बिक्री से संत परेशान हैं। उन्होंने शराब और कबाब पर यह बैन न सिर्फ अयोध्या में बल्कि वाराणसी और चित्रकूट जैसी धार्मिक नगरी में भी होना चाहिए। हालांकि, इससे पहले जून 2018 में योगी सरकार मथुरा के गोकुल, गोवर्धन, बलदेव, नन्दगांव और राधा कुंड में शराब पर बैन लगा चुकी है।