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रोक के बावजूद महाहड़ताल पर लाखों राज्य कर्मचारी, एस्मा के बाद कई जिलों में लगी धारा 144, बोर्ड परीक्षा पर भी संकट!

locationलखनऊPublished: Feb 06, 2019 04:58:54 pm

Submitted by:

Hariom Dwivedi

कर्मचारी, शिक्षक, अधिकारी पुरानी पेंशन बहाली मंच ने हड़ताल में करीब 150 संगठनों के 20 लाख कर्मचारियों व शिक्षकों के शामिल होने का दावा किया है…

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रोक के बावजूद महाहड़ताल पर लाखों राज्य कर्मचारी, एस्मा के बाद कई जिलों में लगी धारा 144, बोर्ड परीक्षा पर भी संकट!

लखनऊ. राज्य सरकार द्वारा आवश्यक सेवा अनुरक्षण अधिनियम (एस्मा) लगाने के बावजूद पुरानी पेंशन बहाली की मांग को लेकर बड़ी संख्या में कर्मचारी हड़ताल पर चले गये। इसके चलते बुधवार को समाज कल्याण निदेशालय सहित सरकारी दफ्तरों पर ताला लटकता रहा, वहीं परिषदीय विद्यालयों के बाहर बच्चे खड़े नजर आये। उत्तर प्रदेश के ज्यादातर जिलों में हड़ताल का व्यापक असर देखने को मिला, तो कुछ जिलों में एस्मा के चलते कर्मचारियों ने हड़ताल से किनारा कर लिया। वहीं, सुलतानपुर में हड़ताल पर गये उपसंभागीय परिवहन विभाग के सभी कर्मचारियों को एआरटीओ माला वाजपेयी ने अल्टीमेटम देकर वापस बुला लिया।
कर्मचारी, शिक्षक, अधिकारी पुरानी पेंशन बहाली मंच ने हड़ताल में करीब 150 संगठनों के 20 लाख कर्मचारियों व शिक्षकों के शामिल होने का दावा किया है। प्रदर्शन कर रहे कर्मचारियों ने हुंकार भरते हुए कहा कि केंद्र व प्रदेश सरकार से अब कर्मचारी डरने वाले नहीं, बल्कि आर-पार की लड़ाई का एलान हो चुका है। जल्द से जल्द यदि मांगें नहीं मानी गईं तो और भी उग्र आंदोलन होगा। मंच के संयोजक हरिकिशोर तिवारी ने बताया कि 12 फरवरी तक चलने वाली सात दिन की हड़ताल के शुरुआती दिनों में बिजली व स्वास्थ्य सेवाओं को अलग रखा जाएगा, लेकिन आखिरी दिनों में सभी आवश्यक सेवाएं भी ठप कर दी जाएंगी।
कर्मचारी शिक्षक अधिकारी पुरानी पेंशन बहाली मंच के संयोजक उमा निवास बाजपेई ने कहा कि 12 फरवरी तक प्रदेश सरकार निर्णय नहीं लेती है तो स्थिति और भयावह होगी। कहा कि एस्मा से बड़ी कोई कानूनी व्यवस्था हो तो सरकार उसे भी योगी सरकार लागू कर के देख ले। उन्होंने कहा कि सरकार टकराव का रास्ता छोड़कर अपने वादे पूरे करे।
पुरानी पेंशन बहाली मंच के अध्यक्ष डॉ. दिनेश चंद्र शर्मा व संघर्ष समिति के चेयरमैन शिवबरन सिंह यादव ने कहा कि कर्मचारियों ने इस मामले में सरकार को भरपूर समय दिया, लेकिन शासन में बैठे अधिकारियों की निष्क्रियता से कोई निर्णय नहीं हो सका है। हड़ताल के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए कर्मचारी नेताओं ने कहा कि हक मांगने के लिए आंदोलन हमारा लोकतांत्रिक अधिकार है, सरकार एस्मा लगाकर इसका दमन नहीं कर सकती।
बोर्ड परीक्षा पर पड़ेगा असर
महाहड़ताल में बड़ी संख्या में शिक्षक शामिल हुए। शिक्षकों के शामिल होने से गुरुवार से शुरू हो रही यूपी बोर्ड परीक्षा पर भी बड़ा असर पड़ेगा। बोर्ड परीक्षा के दौरान कई शिक्षकों की ड्युटी कक्ष निरीक्षक के तौर पर लगती है। हड़ताली शिक्षकों का दावा है कि इस बार कोई भी परिषदीय शिक्षक कक्ष निरीक्षक का दायित्व नहीं निभाएगा। कर्मचारी शिक्षक अधिकारी पुरानी पेंशन बहाली मंच के संयोजक उमा निवास बाजपेई ने कहा कि अगर सरकार टकराव का रास्ता नहीं छोड़ती है, तो सात फरवरी से शुरू हो रही बोर्ड परीक्षा पर इसका असर पड़ेगा।
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एस्मा लगाकर हड़ताल रोकने की कोशिश
हड़ताल को देखते हुए मुख्य सचिव अनूप चंद्र पाण्डेय ने बीते सोमवार को ही आवश्‍यक सेवा अनुरक्षण कानून (एस्मा) लगने की अधिसूचना जारी कर दी थी। एस्मा लागू होने के दौरान होने वाली हड़ताल को अवैध माना जाता है। इसके उल्लंघन का दोषी पाए जाने पर एक साल तक की सजा और जुर्माने का प्रावधान है। एस्‍मा लागू होने के बाद अगर कर्मचारी हड़ताल पर जाता है तो क्रिमिनल प्रोसिजर के तहत एस्‍मा लागू होने के बाद इस आदेश से संबंधित किसी भी कर्मचारी को बिना किसी वारंट के गिरफ्तार किया जा सकता है।
क्या है हड़ताली कर्मचारियों की मांग
हड़ताल पर गये राज्य कर्मचारियों की मांग है कि पुरानी पेंशन योजना फिर से लागू की जाये। दरअसल केंद्र सरकार ने वर्ष 2004 में नेशनल पेंशन स्कीम (एनपीएस) की शुरुआत की थी, जिसके लागू होने के बाद जो सरकारी कर्मचारी बहाल हुए वह सभी पुरानी पेंशन स्कीम की जगह एनपीएस के तहत आ गए। अब सरकारी कर्मचारी पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने की इसलिए मांग कर रहे हैं, क्योंकि पुरानी स्कीम में कर्मचारियों का कोई कंट्रिब्यूशन नहीं था और तय पेंशन की गारंटी भी थी।
कई जिलों में धारा 144 लागू
एस्मा लागू होने के बाद लखनऊ समेत प्रदेश के कई जिलों में धारा 144 भी लगा दी गई है। साथ ही किसी भी तरह के पुतले दहन और लोगों के जमावड़े पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। धारा 144 लगने के बाद किसी भी संवैधानिक संस्था के आसपास किसी भी प्रकार के झंडे और स्पीकर से प्रचार नहीं किया जा सकता है, साथ ही धरना, प्रदर्शन और हड़ताल पर भी प्रतिबंध रहेगा। कोई भी रैली, धरना, मशाल और जुलूस निकालने के लिए पहले प्रशासन से स्वीकृति लेने होगी।

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