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मंदिरों, दरगाह में ओझा और पीरजादा पर नजर रखेंगे सीएमओ, सुप्रीम कोर्ट सख्त

locationलखनऊPublished: May 15, 2019 03:22:49 pm

Submitted by:

Hariom Dwivedi

-फेथ हीलिंग या रूहानी इलाज करते पकड़े गए तो होगी सजा-आस्था आधारित इलाज में मानवाधिकार उल्लंघन पर सुप्रीम कोर्ट सख्त-हर जिले में झाड़-फूंक करने वाले ओझा और मौलवियों की पहचान के लिए चलेगा अभियान

Supreme court

मंदिरों, दरगाह में ओझा और पीरजादा पर नजर रखेंगे सीएमओ, सुप्रीम कोर्ट सख्त

पत्रिका इन्डेप्थ स्टोरी
लखनऊ. मुख्य चिकित्साधिकारी अब गांव-गांव में घूमकर ओझा और पीरजादा की पहचान करेंगे। जिन धार्मिक स्थलों पर मानसिक रोगियों का रुहानी इलाज हो रहा है या फिर झाड़-फूंक की जा रही है उनकी सूची तैयार की जाएगी। भूत-प्रेत भगाने के नाम पर यदि मानवाधिकार उल्लंघन की शिकायत पायी गयी तो ओझा और पीरजादा को जेल भेजा जाएगा। 23 मई के बाद इसके लिए स्वास्थ्य विभाग अभियान चलाएगा।
चुनावी शोर के बीच उच्चतम न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण आदेश दिया है। यह आदेश फेथ हीलिंग यानी आस्था आधारित उपचार से जुड़ा हुआ है। सर्वोच्च न्यायालय ने एक याचिका की सुनवाई करते हुए उप्र सरकार को फेथ हीलिंग के नाम पर धार्मिक स्थलों पर हो रहे मानवाधिकार उल्लंघन के मामले तत्काल प्रभाव से रोकने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट के आदेश के बाद योगी आदित्यनाथ सरकार ने उप्र के सभी मुख्य चिकित्साधिकारियों को निर्देश दिया है कि वह जिलों में ऐसे सभी धार्मिक स्थलों और मानसिक उपचार कैंप और केंद्रों की पहचान करें जहां मानसिक रोगियों को इलाज किया जाता है। शीर्ष कोर्ट के संज्ञान में यह आया है कि धर्म के नाम पर इलाज करने वाले मानवाधिकार का उल्लंघन करते हैं। मरीजों पर जिन्न या प्रेतात्मा आने के नाम पर उन्हें मारा-पीटा या धमकाया जाता है। कभी कभी तो उन्हें जंजीरों से जकडकऱ या रस्सियों से बांध कर रखा जाता है। सुप्रीम कोर्ट ने इसे मानवाधिकार का उल्लंघन माना है। कोर्ट का निर्देश है कि सरकार हर हाल में यह सुनिश्चित करे कि मानसिक स्वास्थ्य अधिनियम का पालन हो।
यह था मामला
बदायूं की एक दरगाह में मानसिक रूप से बीमारों को रूहानी इलाज के नाम पर जंजीरों से बांधकर रखा गया था। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अशोक कुमार के मुताबिक कोर्ट आदेश के बाद दरगाह से 22 मानसिक रोगियों को मुक्त कराया गया। गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय में अधिवक्ता गौरव कुमार बंसल ने यहां के बड़े सरकार दरगाह में रूहानी इलाज के नाम मानसिक रोगियों को जंजीरों बांधने के खिलाफ जनहित याचिका दायर की थी। कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा था कि यह बहुत ही गलत,नृशंस और अमानवीय है। मानसिक मरीजों की भी एक गरिमा और इज्जत होती है, इसलिए ऐसा करना गलत है। कोर्ट ने इस संबंध में राज्य और केंद्र सरकार को नोटिस जारी की थी। इसके बाद सोमवार को हुई सुनवाई में उप्र सरकार ने अपना पक्ष रखते हुए आश्वस्त किया है कि रुहानी इलाज के नाम पर हो रहे उत्पीडऩ को रोका जाएगा। इसके लिए सीएमओ के नेतृत्व में टीम गठित की जाएगी जो इस तरह के इलाज करने वाले कैंपों की पड़ताल करेगी और उनकी लिस्ट तैयार होगी। यदि मानवाधिकार उल्लंघन हुआ तो नियमानुसार कार्रवाई होगी।
यह होता है दरगाह और ओझा की पिंडी पर
दरगाह और ओझाओं की पिंडी पर मानसिक रोगियों को रूहानी इलाज के लिए लेकर लोग आते हैं। मान्यता है कि यहां लोगों को बुरी प्रेतात्माओं से छुटकारा मिलता है। माना जाता है कि रोगी पर किसी बुरी आत्मा का साया है, इसीलिए उसको रूहानी इलाज या फिर झाड़-फूंक या ओझाई की जरूरत है। ऐसे मरीजों को अक्सर बेडिय़ों और जंजीरों में बांधकर रखा जाता है ताकि रोगी कहीं भाग न सके और किसी पर हमला न कर दे।
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क्या कहता है मानसिक स्वास्थ्य अधिनियम 2017
मानसिक स्वास्थ्य देखभाल अधिनियम यानी मेंटल हेल्थ केयर एक्ट मानसिक बीमारी से ग्रस्त लोगों के मानसिक स्वास्थ्य की देखभाल और सेवाएं मुहैय्या कराने की गारंटी देता है। यह एक्ट यह भी सुनिश्चित करता है कि किसी भी मानसिक रोगी के साथ कोई भेदभाव न हो तथा उसे प्रतिष्ठा के साथ जीने का अधिकार मिले। इसके अलावा यह एक्ट आत्महत्या को भी अपराध मुक्त करता है।
मानसिक रोगियों का अधिकृत डाटा उपलब्ध नहीं
उप्र में मानसिक रोगियों की संख्या का कोई आधिकारिक डाटा उपलब्ध नहीं है। अनुमानत: 6 से 7 प्रतिशत आबादी किसी न किसी रूप में मानसिक विकार की शिकार है। इनमें अवसाद तथा चिंताग्रस्त रोगी भी शामिल हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन भी मानता है कि चार में से हर एक इन्सान कभी न कभी अपने जीवन में मानसिक बीमारियों से गुजरता है।
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