मध्यप्रदेश के विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार में जाते समय रामगोविंद चौधरी को झांसी के पास दिल का दौरा पड़ा था…
राम गोविंद चौधरी को लेकर आई बड़ी खबर, मेदांता में हालत बेहद नाजुक, समाजवादी पार्टी के बड़े नेता परेशान
लखनऊ. समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के करीबी और उत्तर प्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रामगोविंद चौधरी का हालत काफी नाजुक है। मध्यप्रदेश के विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार में जाते समय रामगोविंद चौधरी को झांसी के पास दिल का दौरा पड़ा था। जिसके बाद उनकी गंभीर हालत को देखते हुए आनन-फानन में उन्हें झांसी-खजुराहो मार्ग पर स्थित रामराजा सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। वहां उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया है। लेकिन वहां डॉक्टरों ने उनकी हालत बिगड़ता देख इलाज के लिए गुड़गांव के मेदांता अस्पताल भेजा जिससे उनको बेहतर इलाज मिल सके। वहीं इस खबर के बाद से ही पार्टी के वरिष्ठ नेताओं और कार्यकर्ताओं का राम गोविंद चौधरी को देखने के लिए मेदांता हॉस्पिटल पहुंचने का सिलसिला जारी है। साथ ही अखिलेश यादव लगातार राम गोविंद चौधरी का हालचाल ले रहे हैं।
आठ बार के विधायक हैं रामगोविंद चौधरी बलिया के रहने वाले रामगोविंद चौधरी आठ बार के विधायक हैं। अखिलेश सरकार में वह बेसिक शिक्षा मंत्री भी रहे, इसके अलावा बाल विकास मंत्रालय की जिम्मेदारी भी उन्हें सौंपी गई थी।। राम गोविंद चौधरी को पार्टी में पिछड़े वर्ग का बड़ा चेहरा माना जाता है। उन्हें समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव का बेहद करीबी भी माना जाता है।
यहां से शुरू की राजनीति नेता प्रतिपक्ष राम गोविंद चौधरी ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत छात्र राजनीति से की थी। पहली बार वह 1977 में चिलकहर विधानसभा सीट से जीतकर आए थे। इस बार वह बलिया के बंसदीह सीट से जीतकर आए हैं। जयप्रकाश नारायण और चंद्रशेखर के साथ इनके पास काम करने का अनुभव है। आपात काल में राम गोविंद चौधरी 1977 में जेल भी गए थे। मौजूदा समय में राम गोविंद चौधरी सबसे ज्यादा अनुभवी विधायक हैं।
छात्र राजनीति से दबदबा 1971-72 में बलिया के मुरली मनोहर टाउन महाविद्यालय से पढ़ाई के दौरान वह महामंत्री चुने गए और इसके बाद वह अध्यक्ष भी बने। छात्र राजनीति के बाद उन्होंने जेपी आंदोलन में अपनी भूमिका दी और छात्रों के लिए वह इस आंदोलन में कूदे। जब वह पहली बार चिलकहर से चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे, उस समय वह चंद्रशेखर की जनता पार्टी के सदस्य थे। चंद्रशेखर को ही वह अपना राजनीतिक गुरु भी मानते हैं। फिर 2002 में जब वह समाजवादी जनता पार्टी से विधायक चुने गए तो उन्होंने मुलायम सिंह का दामन थामा और उनके साथ लंबे समय तक अपनी सियासी पारी को आगे बढ़ाया। बांसडीह से भी वह तीन बार विधायक रहे।