गुरुवार को कैबिनेट मंत्री डॉ. सिद्धार्थनाथ सिंह ने प्रेसवार्ता कर सपा प्रमुख पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि अखिलेश यादव पूर्व में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। लेकिन जिस तरह से उन्होंने आवंटित सरकारी बंगले में तोड़फोड़ की और फिर इसे लेकर प्रेसवार्ता भी की। उन्होंने कहा कि अखिलेश यादव ने हम पर इतने आरोप लगाये और उस पर राजनीति करने लगे। तो क्या ये सही नहीं है कि चोर की दाढ़ी में तिनका था?
मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने बताया कि यूपी के राज्यपाल की चिट्ठी के बाद ही जांच टीम गठित की गई थी, जिसकी अब रिपोर्ट आई है। इस रिपोर्ट में 10 लाख रुपये के नुकसान की बात कही जा रही है। मंत्री ने अखिलेश यादव पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि अखिलेश यादव ने बिना अनुमति लिये उनको आवंटित सरकारी बंगले का निर्माण कराया था, जबकि इसके लिये राज्य संपत्ति विभाग से परमीशन लेना जरूरी था। इसके लिये भी एक कानून है। मामले में सरकार और कानून को जो करना है, वह करेगी।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद यूपी के सभी पूर्व मुख्यमंत्री को उनको आवंटित सरकारी बंगला खाली करना पड़ा। ये सरकारी बंगले अखिलेश यादव, मुलायम सिंह यादव, मायावती, राजनाथ सिंह, कल्याण सिंह और एनडी तिवारी को आवंटित थे। सबने अपने बंगले खाली कर चाभी राज्य संपत्ति विभाग को सौंप दी। विभाग ने अखिलेश यादव को आवंटित बंगले में तोड़फोड़ का आरोप लगाया। मामले पर खूब हंगामा हुआ तो अखिलेश ने प्रेसवार्ता कर सफाई दी। राज्यपाल राम नाईक ने योगी सरकार को पत्र लिखकर बंगले में टूट-फूट पर नाराजगी जताते हुए कार्रवाई करने की बात कही। इसके बाद बंगले में हुई तोड़फोड़ की जांच के लिये एक कमेटी गठित की गई, जिसने बुधवार को अपनी रिपोर्ट सौंपी। इस रिपोर्ट में 10 लाख रुपये के नुकसान की बात कही जा रही है।