scriptचढ़ा चुनावी खुमार, सजा बाजार, गायब खरीदार | Sellers not getting buyers for political mela in lok sabha election | Patrika News

चढ़ा चुनावी खुमार, सजा बाजार, गायब खरीदार

locationलखनऊPublished: Apr 20, 2019 10:08:24 pm

Submitted by:

Abhishek Gupta

– चुनाव प्रचार की सामग्री बेचने वाले दुकानदार मायूस
– प्रियंका से जुड़ी प्रचार सामग्री की खपत ज्यादा
– टीशर्ट, कैप की बढ़ी डिमांड, ढीला है कुर्ते का कारोबार

2019 election

2019 election

महेंद्र प्रताप सिंह.

लखनऊ. उप्र में दो चरण का मतदान खत्म हो चुका है। चुनावी बुखार अपनी खुमारी पर है। लेकिन, चुनाव प्रचार की सामग्री बेचने वाले दुकानदार मायूस हैं। राजधानी लखनऊ में दारुलशफा से लेकर विभिन्न पार्टियों के कार्यालयों के सामने चुनाव प्रचार सामग्रियों की दुकानें सजी हैं। सीएम योगी आदित्यनाथ, पीएम नरेंद्र मोदी से लेकर पूर्व सीएम अखिलेश, मुलायम और मायावती-डिंपल यादव से जुड़ी तमाम तस्वीरें और बैनर सजाए दुकानदार बैठें हैं। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और महासचिव प्रियंका गांधी के भी पोस्टर और आडियो-वीडियो बिक्री के लिए रखे हैं। लेकिन, खरीदार नदारद हैं। चुनावी स्टीकर, बैज, कटआउट, टोपी, झंडे, माला, टी शर्ट और नेताओं के जीवन चरित्र की पुस्तकों पर धूल की परत जमी है। सिले-सिलाए कुर्तें-पायजामे और अगौछा। हर पार्टी के रंग में रंगी टी शर्ट। भगवा से लेकर हरे रंग तक की। लुभाने के लिए हर सामान। लेकिन ऐसा पहली बार है कि चुनावी मौसम में इन्हें कोई पूछ नहीं रहा। पिछले 50 सालों से दारुलशफा में कुर्ते बेच रहे सफीकुर्रहमान बताते हैं कि चुनावी मौसम में ऐसी मंदी पहली बार देखी है। वे कहते हैं इतना माल फंसा दिया है। चिंता सता रही है पैसा कहीं डूब न जाए।
ये भी पढ़ें- गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने मायावती-मुलायम की रैली पर किया सबसे बड़ा हमला, मंच से कहा यह

टीशर्ट, कैप की बढ़ी डिमांड, ढीला है कुर्ते का कारोबार-
कुर्ते और अगौछे की बिक्री में भी इस बार चुनाव में भारी गिरावट आई है। अब तक किसी भी दुकानदार को थोक आर्डर मिला ही नहीं। पहले कुर्ते-पजामे, अगौछे और टोपी आदि का एक बार में 100.-100 आर्डर मिला करते थे। लेकिन, अब तस्वीर बदल गयी है। इस बार चुनावों में आम आदमी अभी तक नहीं जुड़ पाया है। योगी और मोदी के नाम वाली और नमो ब्रांड की टीशर्ट और टोपियां भी डंप हंै। लोकसभा चुनावों से ज्यादा विधानसभा चुनावों में भगवा टी शर्टें बिकी थीं। इसी उम्मीद में दुकानदारों ने नमो ब्रांड की टीशर्ट, की रिंग,टोपी, काफी मग, बैज के अलावा मैं भी चौकीदार लिखी टी शर्ट का कुछ ज्यादा ही आर्डर दे दिया था। अब जब बिक्री प्रभावित हुई तो माल बेचने के लिए वे टाटा मैजिक किराए पर लेकर जिले-जिले में माल की सप्लाई कर रहे हैं।
ये भी पढ़ें- तारीफें, मुस्कुराहट, तालियां – मुलायम व मायावती की महारैली का था गजब नजारा, लेकिन अंत में इस बदलाव ने सभी को किया हैरान

2019 election
प्रियंका से जुड़ी प्रचार सामग्री की खपत ज्यादा-
कमोबेश, कुछ इसी तरह का हाल कांग्रेस पार्टी का भी है। कांग्रेस से जुड़ी प्रचार सामग्री बेचने वाले दुकानदारों का कहना है कि कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी की रैलियों और रोडशो वाले संसदीय क्षेत्रों से कांग्रेसी पोस्टर, झंडे और राहुल टी शर्ट की डिमांड आती है लेकिन पूरी सीजन में एक बार में 100 से अधिक का आर्डर नहीं मिला। प्र्रियंका के मुस्कराते चेहरे वाला पट्टा, स्क्राल भी डिमांड में है। यह 100 रुपए तक में बिक जा रहा है।
गठबंधन ने भी बाजार किया कम-
कारोबारियों के अनुसार यूपी में सपा-बसपा गठबंधन का फायदा भले ही इन दोनों पार्टियों को मिले लेकिन दोनों दलों के साझा चुनाव लडऩे से उन्हें नुकसान हुआ है। एक तो 37-38 क्षेत्रों में ही सपा-बसपा के बैनर, पोस्टर बिकने की राह बची। दूसरे पहले से रखी चुनाव सामग्री भी खराब हो गयी। कारोबारियों को उम्मीद थी कि विधानसभा चुनाव में बची सामग्री लोकसभा चुनाव में खप जाएगी। लेकिन उम्मीदों पर पानी फिर दिया। अखिलेश और मायावती के संयुक्त चेहरे और सपा-बसपा के संयुक्त झंडों की डिमांड है। अखिलेश और डिंपल के चेहरे वाली टीशर्टों और टोपियों को युवा ही खरीद रहे हैं।
2019 election
आयोग की सख्ती का असर-
चुनाव आयोग ने प्रति उम्मीदवार अधिकतम 70 लाख के खर्च की सीमा तय की है। हालांकि नेता इससे कहीं ज्यादा खर्च कर रहे हैं लेकिन आयोग की सख्ती के कारण झंडे,बैनर,पोस्टर और चुनाव सामग्रियों की खरीदी से बच रहे हैं।
फ्लैक्स प्रिटिंग का धंधा भी चौपट-
चुनाव प्रचार सामग्री बेचने वाले ही नहीं इस बार चुनाव सामग्री की प्रिंटिग करने वाले प्रिंटर और फ्लैक्स मशीन लगाकर मोटी कमाई का सपना देखने वाले कारोबारी भी चुनाव से निराश हुए हैं। बैलेट पेपर तक की छपाई का आर्डर उन्हें नहीं मिल रहा है। बैनर और पोस्टर भी इक्का दुक्का दिख रहे हैं। चुनावी रैलियों के लिए कट आउट आदि में भी गिरावट देखी जा रही है।
सोशल मीडिया की डिमांड बढ़ी-
इस बार चुनाव प्रचार सामग्रियों की बिक्री पर सबसे अधिक मार सोशल मीडिया की तरफ से पड़ी है। वाट्सअप, टेलीग्राम, शेयरचैट आदि ने कारोबारियों की रीढ़ तोड़ दी है। पूरा चुनाव वाट्सअप पर लड़ा जा रहा है। एक तरह से यह पहला वाट्सअप चुनाव है। एक ग्रुप में कम से कम 256 मेंबर के हिसाब से पांच ग्रुप के जरिए कम से कम 1280 लोगों के पास मैसेज फारवर्ड किए जा रहे हैं। भारत में 30 करोड़ फेसबुक एकाउंट हैं। एक अनुमान के मुताबिक इनमें से यूपी में कम से कम एक करोड़ लोग वाट्सअप चला रहे हैं। हेलो, शेयर इट, टेलीग्राम की संख्या अलग है। सभी पार्टियां अपने समर्थकों के पास इन्ही सोशल मीडिया के सहारे पहुंच रही हैं।
2019 election
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो