धरने को सम्बोधित करते हुये प्रदेष अध्यक्ष डाॅ. मसूद अहमद ने कहा कि गन्ना किसान सरकार की अनदेखी के कारण आज समस्याओं के भवंर मे फंसकर निराश और हताश है। विगत वर्ष का बकाया गन्ना मूल्य भुगतान न होने से अपने सरकारी देय, यथा-बिजली बिल, फसली ऋण (बैंक और सहकारी समिति द्वारा लिया क्राप लोन) आदि चुकाने मे असमर्थ किसान को सरकारी अमला लगातार परेशान कर रहा है। धरने का संचालन प्रदेष प्रवक्ता सुरेन्द्रनाथ त्रिवेदी ने किया।
ज्ञापन में रालोद नेताओं द्वारा मांग की कि 15 अक्टूबर से शुगर मिल चलाने की घोषणा के बाद भी आज तक न चलने वाली शुगर मिल तुरन्त चालू कराई जाएं, प्रदेश सरकार द्वारा शुगर मिलों पर माफ किए ब्याज रू 2000/-करोड़ का भुगतान भी माननीय उच्च न्यायालय के आदेश मार्च 2018 के अनुसार किसानो को बकाया गन्ना मूल्य सहित तुरन्त कराया जाए, गन्ना की फसल में बीमारी लगने से गत वर्ष की तुलना में गन्ना की पैदावार लगभग 15-20 प्रतिषत कम है जिसके कारण किसानों को भारी आर्थिक क्षति हुयी है वहीं दूसरी ओर डीजल, उर्वरक, कीटनाशक, बीज, विद्युत दर, कृषि उपकरण आदि की कीमतों में वृद्वि को ध्यान में रखते हुये गन्ना का लाभकारी राज्यपरामर्षी मूल्य घोषित किया जाए।