राजनाथ सिंह बोले- मैं चुनाव जीतूं या हारूं फर्क नहीं पड़ता, मैं सिर्फ इंसानियत की सेवा करना चाहता हूं
लखनऊPublished: Feb 14, 2019 03:22:40 pm
शिया मुसलमानों को दिया नजफ तक सीधी फ्लाइट का तोहफा।
राजनाथ सिंह बोले- मैं चुनाव जीतूं या हारूं फर्क नहीं पड़ता, मैं सिर्फ इंसानियत की सेवा करना चाहता हूं
लखनऊ. केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि मैं चुनाव जीतूं या हारूं फर्क नहीं पड़ता। मैं सिर्फ इंसानियत की सेवा करना चाहता हूं। मैं वादा नहीं करता। अगर भारत के नेताओं ने जितने वादे किए उसका थोड़ा भी काम हो गया होता तो भारत आज दुनिया में नंबर वन होता। केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने शिया मुसलमानों को गुरुवार को एक खास तोहफा दिया। अब लखनऊ से नजफ तक के लिए सीधी फ्लाइट मिल सकेगी। राजनाथ सिंह ने अमौसी एयरपोर्ट से इस सेवा का शुभारंभ किया। इस मौके पर नजफ जाने के लिए पहला बोर्डिंग पास उन्होंने सैयद जफर असगर रिजवी को दिया। नजफ इराक में स्थित है यह शियाओं का एक धार्मिक स्थल है। यहां शिया समुदाय के पहले इमाम हजरत अली अलैहिस्लाम का रौजा है। साथ ही नजफ से जायरीन करबला और कूफा की जियारत करने जाते हैं। राजनाथ सिंह ने कहा कि हमारा प्रयास है कि हवाई चप्पल पहनने वाला व्यक्ति भी हवाई सफर कर सके।
…और वह प्रधानमंत्री बनें
कार्यक्रम में राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष गैरूल हसन रिजवी भी मौजूद रहे। इस मौके पर मौलाना आगा रूही ने कहा कि 2004 में अम्मार रिजवी ने सबसे पहले नजफ तक सीधी उड़ान के लिए केंद्र सरकार को चि_ी लिखी थी, लेकिन तत्कालीन उड्डयन मंत्री अजित सिंह ने इस पर ध्यान ही नहीं दिया। गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने दिलों की ख्वाहिश पूरी की। हम सब की दुआ लगे और वह प्रधानमंत्री बनें।
रिजवी को दिया क्रेडिट
राजनाथ सिंह ने इस सेवा के शुरू होने का क्रेडिट अम्मार रिजवी को दिया। उन्होंने कहा कि अम्मार रिजवी से मुलाकात के बाद मैंने सिविल एविएशन मिनिस्ट्री से बात की। उन्होंने कहा कि नजफ उड़ान को इलेक्शन से जोड़कर न देखा जाए। इससे मुझे शर्मिंदगी महसूस होती है। मैं सिर्फ सरकार बनाने के लिए राजनीति नहीं करता। मैं चुनाव जीतूं या हार जाऊं, लेकिन मैं इंसानियत की सेवा करता रहूंगा। भारत व इराक के रिश्ते अच्छे हों। यही मेरी कामना है।
राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत में अब 100 एयरपोर्ट हो गए हैं। हमारा प्रयास है कि हवाई चप्पल पहनने वाला व्यक्ति भी हवाई सफर कर सके। यह संयोग है कि मुझे वैलेंटाइन के दिन आपकी खिदमत करने का मौका मिला।