राजधानी स्थित अपने आवास ‘रामायण’ पर एक प्रेसवार्ता के दौरान आज निर्दलीय विधायक रघुराज प्रताप सिंह ‘राजा भैया’ ने आज उपरोक्त बातों का ऐलान किया। उन्होंने उपरोक्त के अलावा इन्ही मुद्दों से सम्बंधित अन्य मामलो को भी उठाया।
पार्टी गठन की जानकारी देने के लिए बुलाए गए प्रेस वार्ता में Raja Bhaiya ने आरक्षण के मुद्दे को भी जोर-शोर से उठाया। Raja Bhaiya ने कहा कि प्रमोशन में Reservation लोगों को हतोत्साहित करता है। उन्होंने कहा कि योग्यता के आधार पर आऱक्षण होना चाहिए।
SC ST Act पर केंद्र को घेरते हुए राजा भैया ने कहा कि यह कदम न्यायोचित नहीं है। उन्होंने कहा कि इस तरह के मामले में पहले विवेचना और उसके बाद ही गिरफ्तारी होनी चाहिए।
Raja Bhaiya ने बताया कि Lok Sabha elections के दौरान SC ST Act और आरक्षण में प्रमोशन का विरोध उनकी पार्टी का मुख्य मुद्दा होगा। प्रेस वार्ता में Raja Bhaiya ने 30 नवम्बर को लखनऊ के रमाबाई मैदान में रैली आयोजित करने की भी जानकारी दी। माना जा रहा है कि इसी रैली के जरिए राजा भैया 2019 Lok Sabha elections का आगाज भी करेंगे।
चर्चाओं में है ‘Raja Bhaiya’ नया कदम पिछले 25 सालों से लगातार उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जनपद से निर्दलीय एमएलए रघुराज प्रताप सिंह क इस नए कदम को लेकर चर्चा यह भी है कि Raja Bhaiya द्वारा नई पार्टी के गठन के पीछे बीजेपी के शीर्ष नेताओं का ही इशारा है। तर्क है कि राजा राजनीति के माहिर खिलाड़ी माने जाते हैं। वर्तमान में बीजेपी से पंगा लेना उनके लिए हितकर नहीं है। ऐसे में नई पार्टी का गठन कर जहां बीजेपी से नाराज वोट बैंक को थाम सकते हैं, वहीं ऐसे नेताओं को भी लामबंद कर सकते हैं जो एसपी और बीएसपी से नाराज चल रहे हैं। चुनाव के बाद वह प्रत्यक्ष या फिर अप्रत्यक्ष रूप से बीजेपी के साथ जा सकते हैं। बीजेपी की पूरी कार्य योजना एसपी-बीएसपी के महागठबंधन की काट के लिए चल रही है। ऐसे में Raja Bhaiya की पार्टी से मैदान में उतरे प्रत्याशी कई सीटों पर बीजेपी प्रत्याशियों की राह आसान कर सकते हैं।
कई सीटों पर दखल, कई पार्टियों से रही नजदीकी Raja Bhaiya अब तक भले ही कुंडा विधानसभा सीट से चुनाव लड़ते रहे हों, लेकिन लेकिन यूपी की करीब 24 से अधिक सीटों पर उनका दखल रहा है। Raja Bhaiya पहली बार दलीय राजनीति में भले ही उतर रहे हों, लेकिन बीजेपी और एसपी से उनके नजदीकी रिश्ते रहे हैं, लेकिन कभी किसी पार्टी में शामिल नहीं हुए। उधर बीएसपी से उनकी तल्खी जगजाहिर है, पिछले राज्यसभा चुनाव के दौरान एसपी-बीएसपी के उम्मीदवार के खिलाफ वोट देने के बाद से यह तल्खी बढ़ गई है।
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